बिना सर्जरी कमर दर्द से राहत कैसे पायें?
कमर दर्द से राहत कैसे पायें? |
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LIST OF CONTENTS / INDEX
- कमर दर्द क्या होता है?
- कमर दर्द क्यों होता है?
- प्रेगनेंसी में कमर दर्द क्यों होता है?
- सुबह उठने पर कमर दर्द क्यों होता है?
- कमर दर्द के लक्षण
- कमर दर्द के प्रकार
- कमर दर्द का निदान
- कमर दर्द का इलाज
- गुर्दों की समस्याएं व कमर दर्द
- कमर दर्द से राहत पाने के सबसे आसान चार तरीके (बिना सर्जरी के)
कमर दर्द क्या होता है?
कमर दर्द किसी भी उम्र के व्यक्तियों में हो सकता है तथा उम्र बढ़ने के साथ-साथ इसकी सम्भावना बढ़ती जाती है। लगभग 80% लोग अपने जीवन में कभी ना कभी कमर में दर्द की समस्या से पीड़ित होते ही हैं।कमर दर्द की वजह से दैनिक कार्यों में असहजता, शारीरिक दुर्बलता, एवं कुछ गम्भीर समस्याएं हो सकती हैं।
कमर दर्द (Back Pain या Backache) अपने आप में कोई रोग या बीमारी नहीं होता है बल्कि किसी अन्य रोग या समस्या का एक लक्षण होता है।
कमर दर्द मुख्यतः कमर या पीठ में कहीं भी दर्द होने को कहा जाता है, जो कभी-कभी नितंबों व पैरों तक तथा प्रभावित नसों के अनुसार शरीर के अन्य हिस्सों में भी जा सकता है।
अधिकतर मामलों में कमर के निचले हिस्से में दर्द होता है (Lower Back Pain) जिसे Lumbago भी कहा जाता है, जबकि कुछ मामलों में कमर के उपरी भाग में होने वाले दर्द को पीठ का दर्द (Upper Back Pain) कहा जाता है।
शरीर को सहारा देने, संतुलन बनाने, गतिमान बनाने, घुमाने आदि कई कार्यों के लिए मानव की पीठ मांसपेशियों (Muscles), स्नायुबंधन (Ligaments), टेंडन, डिस्क, तंत्रिकाएं (Nerves) एवं हड्डीयों से बनी एक जटिल संरचना होती है।
कमर दर्द क्यों होता है? कमर दर्द का कारण (back pain causes) -
तनाव (Strain) -
- मांसपेशियों में तनाव (tension), ऐंठन (spasm), खिंचाव (strain), या चोट (trauma / injury)।
- स्नायुबंधन (ligaments) में खिंचाव (strain), फ्रैक्चर।
- डिस्क की क्षति (damaged disk)।
- हड्डीयों में फ्रैक्चर।
संरचनात्मक एवं शारीरिक समस्याएं (Structural Defects and physical problems) -
- डिस्क समस्याएं (Disk Defects) - डिस्क के टूटने (Ruptured Disk) से या बाहर की तरफ उभरने (Bulged/Herniated Disk) से दो कशेरुकों (vertebrae) के बीच की तंत्रिका पर अधिक दबाव पड़ता है, जिससे कमर में दर्द होता है। जैसे कटिस्नायुशूल (Sciatica) या स्लिप डिस्क जिसमें हर्नियेटेड डिस्क के कारण नितंब से लेकर पैर के निचले हिस्से तक तेज दर्द होता है। sciatica treatment हेतु हमसे सम्पर्क करें।
- हड्डी व जोड़ों की समस्याएं - (a). ऑस्टियोपोरोसिस - रीढ़ की कशेरुकाओं व अन्य हड्डियों के भंगुर एवं छिद्रपूर्ण हो जाने से संपीड़न फ्रैक्चर (compression fractures) की संभावना अधिक हो जाती है। (b). गठिया - कूल्हों, मेरुदंड के जोड़ों में ऑस्टियोआर्थराइटिस होने से कमर दर्द होता है। (c). स्पाइनल स्टेनोसिस - रीढ़ की हड्डी के आसपास का स्थान संकरा हो जाने से भी कमर दर्द होता है। (d). रीढ़ की असामान्य वक्रता - रीढ़ की हड्डी के असामान्य तरीके से झुकने से पीठ दर्द हो सकता है जैसे स्कोलियोसिस में रीढ़ एक साइड की तरफ झुक जाती है।
- Cauda equina syndrome - कौडा इक्वाइन स्पाइनल नर्व रूट का एक बंडल है जो कि रीढ़ की हड्डी के निचले सिरे से उत्पन्न होता है। इसमें पीठ के निचले हिस्से एवं ऊपरी नितंबों में हल्का दर्द के साथ-साथ नितंबों, जननांगों और जांघों में सुन्नता (numbness) हो सकती है। कभी-कभी आंत्र और मूत्राशय के कार्यों में भी गड़बड़ी हो सकती है।
- रीढ़ की हड्डी का कैंसर - रीढ़ की हड्डी का ट्यूमर तंत्रिका को दबाता है, जिससे पीठ दर्द हो सकता है।
- रीढ़ की हड्डी का संक्रमण - रीढ़ की हड्डी के संक्रमण के कारण बुखार तथा पीठ कोमल व गर्म हो सकती है।
- Shingles - इस संक्रमण से प्रभावित तंत्रिकाओं के क्षेत्र में कमर दर्द हो सकता है।
शारीरिक गतिविधियां व गलत मुद्रा (Movement and Poor Posture) -
- शरीर को झटके से मोड़ना (Twisting)।
- अजीब तरह से या लंबे समय तक झुकना।
- धक्का देना, खींचना, या कुछ उठाना।
- लंबे समय तक खड़े रहना या बैठना।
- गर्दन को आगे की ओर खींचना, जैसे गाड़ी चलाते समय या कंप्यूटर का उपयोग करते समय।
- लंबे समय तक बिना रुके ड्राइविंग करना।
- ऐसे गद्दे पर सोना जो शरीर को सहारा नहीं देता हो और रीढ़ को सीधा रखता हो।
- कंप्यूटर का उपयोग करते समय लगातार बहुत झुक कर बैठने से पीठ और कंधे के दर्द की समस्या हो सकती है।
कमर दर्द के अन्य कारण -
- नींद संबंधी विकार - नींद की बीमारी (अनिद्रा) वाले व्यक्तियों में कमर दर्द की संभावना अधिक होती है।
- शरीर में कहीं अन्य संक्रमण होना - पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज, ब्लैडर व गुर्दे में पथरी या संक्रमण से भी कमर दर्द हो सकता है।
जोखिम (Risk Factors)
- आनुवंशिकता या जेनेटिक कारक।
- उम्र - उम्र बढने के साथ-साथ शरीर का लचीलापन कम होने से कमर दर्द बढने की सम्भावना बढ़ती जाती है।
- लिंग - महिलाओं में कमर दर्द के कारण (causes of back pain in females) - हार्मोनल कारक, तनाव, चिंता व मनोदशा संबंधी विकारों के अधिक होने, तथा गर्भावस्था के कारण महिलाओं में कमर दर्द पुरुषों में कमर दर्द की तुलना में अधिक होता है।
- व्यावसायिक गतिविधियाँ।
- गतिहीन जीवन शैली।
- शारीरिक फिटनेस खराब होना।
- मोटापा व अधिक वजन।
- धूम्रपान।
- अत्यधिक या गलत तरीके से किया गया शारीरिक व्यायाम या काम।
- अन्य चिकित्सकीय स्थितियां जैसे गठिया, कैंसर आदि।
प्रेगनेंसी में कमर दर्द क्यों होता है? (back pain during pregnancy)
गुरुत्वाकर्षण केंद्र में बदलाव
भार बढ़ना
हार्मोन
सुबह उठने पर कमर दर्द -
कुछ लोगों में सुबह उठने पर कमर दर्द (backache after sleeping) होता है जो कि थोडा हिलने-डुलने या घूमने के बाद आमतौर पर कम हो जाता है।
सुबह पीठ दर्द के कारण -
- मांसपेशियों में जकड़न - लंबे समय तक आराम करने या सोने से रक्त के प्रवाह में कमी के कारण जकड़न की वजह से सुबह में कमर दर्द होता है।
- सोने की स्थिति - सोने की खराब स्थिति (poor sleeping positions), जैसे पेट के बल सोने, से रीढ़ पर दबाव पड़ सकता है, जिससे रीढ़ की हड्डी वक्राकार से सीधी या चपटी हो जाती है, अतः नियमित रूप से सुबह-सुबह पीठ दर्द का अनुभव हो सकता है।
- खराब गद्दा - गद्दा खराब या पुराना है तो नींद अच्छी नहीं आने या तनाव से सुबह उठने पर कमर दर्द हो सकता है।
- डिस्क डिजनरेशन - डिस्क के अंदर का दबाव सुबह के समय अधिक होता है।
- फाइब्रोमायल्गिया।
- गर्भावस्था (backache in early pregnancy)।
कमर दर्द के लक्षण -
- कमर में कहीं भी दर्द, सूजन या जलन
- दर्द लगातार रहना, लेटने या आराम करने से भी कम नहीं होना
- पैरों में नीचे तक (घुटनों के नीचे तक) दर्द होना
- वजन घटना
- बुखार होना
- मूत्र असंयम, पेशाब करने में कठिनाई
- मल असंयम, या मल त्याग पर नियंत्रण नहीं होना
- जननांगों, गुदा, नितंबों के आसपास सुन्नता (Numbness)
कमर दर्द के प्रकार -
- Acute Backache तीव्र दर्द जो अचानक शुरू होता है तथा 6 सप्ताह तक रह सकता है।
- Chronic Backache पुराना या दीर्घकालिक दर्द जो धीरे-धीरे बढ़ते हुए 3 महीने से अधिक समय तक रहता है, तथा कई अन्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
डॉक्टर को कब दिखायें?
- यदि आपको कोई सुन्नता (numbness) या झुनझुनी (tingling) का अनुभव हो।
- यदि कमर दर्द आराम करने से भी कम नहीं होता हो।
- चोट या गिरने के बाद कमर में दर्द हो।
- कमर दर्द के साथ-साथ कमजोरी या बुखार हो।
- कमर दर्द के साथ-साथ अज्ञात कारण से वजन घट रहा हो।
कमर दर्द का निदान Diagnosis of Back Pain
- लक्षणों एवं शारीरिक परीक्षण से।
- एक्स-रे हड्डियों की समस्याएं (फ्रैक्चर), गठिया आदि की पहचान के लिए।
- एमआरआई या सीटी स्कैन ऊतक, टेंडन, नसों, स्नायुबंधन, रक्त वाहिकाओं, मांसपेशियों और हड्डियों की समस्याओं व हर्नियेटेड डिस्क की पहचान के लिए।
- अस्थि स्कैन (Bone Scan) हड्डी के ट्यूमर या ऑस्टियोपोरोसिस के कारण संपीड़न फ्रैक्चर (Compresssion fracture) का पता लगाने के लिए।
- इलेक्ट्रोमायोग्राफी या ईएमजी हर्नियेटेड डिस्क या स्पाइनल स्टेनोसिस के कारण मांसपेशियों में तंत्रिका संपीड़न की पुष्टि करने के लिए।
- रक्त परीक्षण व मूत्र परीक्षण संक्रमण की पुष्टि करने के लिए।
- हाड-वैद्य (Chiropractor) शारीरिक स्पर्श, टटोल कर, देख कर निदान करता है। रीढ़ की हड्डी के जोड़ों के परीक्षण हेतु कायरोप्रैक्टिक निदान एक सीधा तरीका माना जाता है। एक हाड वैद्य भी इमेजिंग स्कैन, रक्त और मूत्र परीक्षण का सहारा ले सकता है।
- ऑस्टियोपैथ भी टटोल कर (पैल्पेशन), व देख कर निदान करता है। ऑस्टियोपैथी में धीमी और लयबद्ध स्ट्रेचिंग (खिंचाव) जैसे mobilization, pressure or indirect techniques, तथा जोड़ों और मांसपेशियों की जाँच-पड़ताल शामिल होती है।
- शारीरिक चिकित्सक (फ़िज़ियोथेरेपिस्ट) शरीर के जोड़ों और कोमल ऊतकों की समस्याओं का निदान करता है।
कमर दर्द का इलाज (back pain treatment)
कमर दर्द का घरेलू उपचार -
- दर्द निवारक दवा का उपयोग - ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (OTC - NSAIDs), जैसे कि आइबुप्रोफेन, से एक बार कुछ देर के लिए दर्द से राहत मिलती है।
कृपया ध्यान दें - दर्द निवारक दवा का उपयोग जब दर्द अधिक हो तभी करें एवं कभी-कभार ही करें, इसे आदत नहीं बनाएं, लेकिन अक्सर देखा गया है कि लोग लम्बे समय तक दिन में कई-कई बार दर्द निवारक दवाएं खाते रहते हैं, ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद हो सकता है, दर्द निवारक दवाओं के लगातार उपयोग से लीवर, किडनी की समस्याएं एवं कई अन्य साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं।
- सिंकाई (Fomentation) - दर्द वाली जगह पर गर्म सेक या आइस पैक लगा कर दर्द कम कर सकते हैं। बर्फ सीधी त्वचा पर नहीं रखें, बल्कि किसी कपड़े में लपेट कर सेक करें।
कृपया ध्यान दें - दर्द पुराना (Chronic Pain) हो तो गर्म सेक (Hot fomentation or hot compress) करें, जबकि तीव्र दर्द (Acute Pain) की स्थिति में ठंडा सेक (Cold Fomentation - आइस पैक) करें।
- मालिश - एसेंशियल आयल एवं कैप्साइसिन (शिमला मिर्च) से बने मलहम की मालिश से दर्द कम किया जा सकता है। (कमर दर्द का घरेलू नुस्खा)
- आराम करना व घूमना-फिरना - कठिन शारीरिक गतिविधि के बीच-बीच में आराम करने से कमर दर्द में राहत मिल सकती है, लेकिन घूमने-फिरने से भी मांसपेशियों की कठोरता कम होती है, दर्द कम होता है तथा मांसपेशियों को कमज़ोर होने से रोका जा सकता है।
कमर दर्द के लिए घरेलू उपचार के आधुनिक तरीके -
- घर, ऑफिस या कार में Back Stretching Device का उपयोग करें (अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें)।
- कुर्सी या कार की सीट पर Backrest Cushion का उपयोग करें (अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें)।
- मालिश के लिए Electric Body Massager या Vibrator का उपयोग करें (अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें)।
नोट - हमारी निजी राय के अनुसार कमर में पहनने वाले बेल्ट (the orthopedic belt for back pain for females or males) का उपयोग नहीं करना चाहिए विशेषकर sciatica treatment के लिए।
कमर दर्द की चिकित्सा / चिकित्सा उपचार -
- OTC NSAID के अलावा अन्य NSAIDs (जिन्हें केवल चिकित्सक ही प्रेस्क्राईब कर सकते हैं) जैसे Naproxane, Acetamenophen आदि।
- Opioids कोडीन या हाइड्रोकोडोन जैसे नशीले पदार्थ, थोड़े समय के लिए, पूर्ण निगरानी के साथ।
- Muscle relaxants (जैसे Methocarbamol) मांसपेशियों को आराम देने के लिए।
- एंटीडिप्रेसेंट (जैसे एमिट्रिप्टिलाइन)।
- स्टेरॉयड (कोर्टिसोन) इंजेक्शन - जब अन्य विकल्प प्रभावी नहीं हो रहे हैं, तो इन्हें रीढ़ की हड्डी के आसपास, एपिड्यूरल स्पेस में इंजेक्ट किया जा सकता है। कोर्टिसोन एक सूजन-रोधी दवा है जो तंत्रिका जड़ों के आसपास सूजन को कम करने में मदद करता है। इस इंजेक्शन का उपयोग दर्द पैदा करने वाले क्षेत्रों को सुन्न करने के लिए भी किया जा सकता है।
- बोटॉक्स - बोटॉक्स (बोटुलिज़्म टॉक्सिन), ऐंठन में मोच वाली मांसपेशियों को निष्क्रिय करके दर्द को कम किया जाता है। इस इंजेक्शन का असर लगभग 3 से 4 महीने तक रहता है।
- टोपिकल दर्द निवारक दवाएं / मल्हम - जैल, लोशन, क्रीम, स्प्रे आदि। इनमें मुख्यतः ibuorofen, lidocaine, diclifenac आदि दवाएं होती है।
कमर दर्द का फिजियोथेरेपी से इलाज (back pain treatment physiotherapy)
- गर्भवती महिलाओं में
- मिर्गी के मरीजों में
- पेसमेकर लगे व्यक्ति में
- हृदय रोग के इतिहास या सम्भावना वाले व्यक्ति में
कमर दर्द के इलाज हेतु एक्यूप्रेशर व अन्य तकनीकें -
एक्यूपंक्चर व एक्यूप्रेशर -
शियात्सू या फिंगर प्रेशर थेरेपी -
ऑस्टियोपैथी -
कायरोप्रैक्टिक चिकित्सा -
योग/योगासन -
ध्यान -
कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी) -
कमर दर्द की शल्य चिकित्सा (Surgery for Back Pain)
- संलयन (Fusion) - दो कशेरुकाओं के बीच हड्डी का एक ग्राफ्ट डाल कर उन्हें आपस में जोड़ा जाता है। इन कशेरुकाओं को धातु की प्लेटों, शिकंजे या पिंजरों के साथ बाँधा जाता है। हालाँकि सर्जरी के बाद आस-पास की कशेरुकाओं में गठिया होने का खतरा काफी अधिक होता है।
- कृत्रिम डिस्क - दो कशेरुकाओं के बीच में एक कृत्रिम डिस्क डाली जाती है, जो कुशन का कार्य करती है।
- डिस्केक्टॉमी - डिस्क का बाहर निकला (bulged) वह हिस्सा जो चुभ रहा हो या तंत्रिका पर दबाव दाल रहा हो, उसे काट कर हटा दिया जाता है।
- कशेरुका को आंशिक रूप से हटाना - रीढ़ की हड्डी या तंत्रिकाओं को पिंच करने वाले कशेरुक के एक छोटे से हिस्से को काट कर हटाया जाता है।
- रीढ़ की डिस्क को पुन: बनाने के लिए कोशिकाओं को इंजेक्ट करना - अपक्षयी डिस्क रोग (Degenerative Disk Disease) के दर्द को ख़त्म करने के लिए उत्तरी कैरोलिना के ड्यूक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित नए बायोमैटिरियल्स से न्यूक्लियस पल्पोसस की रिपेरेटिव कोशिकाओं को बूस्टर शॉट दिया जाता है।
गुर्दों की समस्याएं व कमर दर्द
कारण
स्थान
दर्द का प्रकार और गंभीरता
लक्षण
कमर दर्द से बचने के उपाय (Prevention of Backache) / कमर दर्द में क्या करें -
1. Diet आहार
कमर दर्द में क्या खाना चाहिए (kamar dard me kya khana chahiye) -
कमर दर्द में क्या नहीं खाना चाहिए (kamar dard me kya nahi khana chahiye) -
2. Exercise व्यायाम
कृपया ध्यान दें - व्यायाम हमेशा किसी अनुभवी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें।
Bridges (ब्रिज़)
- अपने घुटनों को मोड़ कर व पैरों को फर्श पर सपाट रखके कमर के बल लेट जाएँ।
- अपने कूल्हों को ऊपर उठाएं ताकि नितंब और पीठ का निचला हिस्सा जमीन से ऊपर उठ जाये।
- धीरे-धीरे अपनी प्रारंभिक स्थिति में वापस आ जाएं।
- यह क्रिया 1 मिनट के आराम के बाद पुनः करें, कुल 15 बार दोहराएँ।
Plank (प्लैंक)
- अपने हाथों और घुटनों पर नीचे झुकें। हाथ कंधों के सीध में एवं घुटने कूल्हों के सीध में हों।
- पंजों के बल पैर रख कर, एड़ियां उठाकर, टांगों को सीधा करके कमर व शरीर को एक सीधी रेखा में लाएं।
- अपनी छाती खुली और कंधे पीछे रखें।
- आधी से एक मिनट तक ऐसे ही रहें।
Back Stretch
- पेट के बल लेट जाएँ।
- हाथों को सिर के उपर की तरफ फैलाएं। पावों को भी फैलाएं।
- हाथों-पांवों को जमीन से 6 इंच उपर उठायें, धीरे-धीरे ऊँचाई बढ़ाते जाएँ।
- नाभि पर केन्द्रित करते हुए हाथों-पांवो को सामर्थ्यनुसार फैलाएं (Stretch)।
- सिर नीचे जमीन की तरफ रखें ताकि गर्दन पर जोर नहीं पड़े।
- इस स्थिति में 2-3 सेकंड रहें, फिर नोर्मल स्थिति में आयें।
- इस क्रिया को 10-12 बार दोहराएँ।
Hip Flexor Stretch (हिप फ्लेक्सर स्ट्रेच)
- बाएं घुटने को जमीन पर टिकाएं।
- दायें पैर को सामने रखते हुए घुटने को 90 डिग्री के कोण तक मोड़ें।
- कमर सीधी, छाती आगे और सिर सीधा रखें।
- दोनों हाथों को कूल्हों पर रखें।
- धीरे-धीरे कूल्हों को आगे की ओर धकेलें तथा 20-30 सेकंड तक ऐसे ही रहें।
- इस स्ट्रेच को अब दूसरी ओर दोहराएं।
Child Pose (चाइल्ड पोज़) बालासन/ शशकासन
- हाथों और घुटनों के बल नीचे बैठें।
- धीरे धीरे शरीर को आगे की ओर झुकाएं।
- जब तक माथा फर्श को न छू ले तब तक झुकना जारी रखें।
- नितंब एड़ी पर टिके होने चाहिए।
- बाहों को सीधा आगे की तरफ रखें और कंधों को ढीला छोड़ें।
Cat- Cow pose कैट-काउ स्ट्रेच (चक्रवाकासन)
- अपने हाथों और घुटनों के बल फर्श पर नीचे बैठ जाएँ।
- आपके हाथ कंधों के सीध में हों तथा घुटने कूल्हों के नीचे हों। अपने वजन को दोनों हाथों व दोनों घुटनों पर समान रूप से केन्द्रित करें।
- धीरे-धीरे हवा अंदर लेते हुए सामने की दीवार को देखें तथा अपने पेट को चटाई की तरफ फूलने दें।
- धीरे-धीरे हवा को बाहर निकालते हुए ठुड्डी को छाती से लगाएं, नाभि को अपनी रीढ़ की ओर खींचें, तथा पीठ को मोड़ें।
- ये दोनों चरण 1 मिनट तक लगातार करते रहें।
स्फिंक्स पोज़ (सलंब भुजंगासन)
- पेट के बल लेट जाएँ। पैरों को सीधे फैलाएं। हथेलियों को नीचे रखते हुए हाथों को कंधों के पास रखें।
- धीरे-धीरे अपने ऊपरी धड़ और सिर को जमीन से उपर उठायें। बाहों का सहारा ले सकते हैं।
- नाभि को जमीन से लगाएं।
- इस स्ट्रेच में 2 से 3 मिनट तक रहें।
- शरीर को ढीला छोड़ते हुए जमीन पर आ जाएँ।
- धीरे-धीरे इस पोज़ को 5 मिनट या अधिक समय तक बढ़ाएं।
उठक-बैठक
- किसी दीवार के सामने मुंह करके सीधे खड़े हो जाएँ।
- पांव दीवार के एकदम पास रखें।
- नाभि के स्तर पर किसी स्थिर चीज को पकड़ कर रखें।
- मुंह नीचे झुकाते हुए नीचे की तरफ बैठें, घुटने व मुंह दीवार के पास ही रहें।
- मुंह नीचे रखते हुए ही वापिस खड़े हो जाएँ।
- ये दोनों क्रियाएं 5-5 बार करें।
3. Lifestyle जीवनशैली
- शरीर का वजन नियंत्रित रखें। मोटापे से कमर दर्द की परेशानी और ज्यादा बढ़ती है।
- धूम्रपान नहीं करें। धूम्रपान से भी कमर दर्द की संभावनाएं बढ़ती है।
- भार उठाना या भारोत्तोलन - भारी चीजों को उठाते समय जोर पीठ के बजाय पैरों पर आने दें। पीठ को सीधा रखें, एक पैर थोड़ा आगे करके रखें ताकि संतुलन बना रहे। घुटनों के बल झुकें, वजन को अपने शरीर के पास रखें। अधिक भारी चीज को अकेले नहीं उठायें, भर उठाते समय कमर मोड़ें नहीं, आगे की तरफ सीधे देखें, ऊपर या नीचे नहीं, ताकि गर्दन का पिछला हिस्सा रीढ़ के साथ एक सीधी रेखा में
- फर्श पर रखी चीजों को खींचने के बजाय अपने पैरों से धकेलना बेहतर होता है।
- जूते - फ्लैट जूते पहनें, क्योंकि ऊँची हील वाले जूते कमर पर दबाव डालते हैं।
- Standing Posture (खड़े होने की मुद्रा) - सीधे खड़े रहें, सिर आगे की ओर, पीठ सीधी रखें, अपने वजन को दोनों पैरों पर समान रूप से संतुलित करें। पैरों को सीधा रखते हुए सिर को रीढ़ की हड्डी की सीध में रखें।
- Sitting Posture बैठने की मुद्रा - बैठने की कुर्सी या सीट में अच्छा बैक सपोर्ट, आर्मरेस्ट और घुमने वाला आधार होना चाहिए। बैठते समय घुटनों और कूल्हों को समतल रखें, पैरों को फर्श पर सपाट रखें या फुटस्टूल पर रखें। पैरों या टखनों को आपस में क्रॉस नहीं करें। सीधा बैठें। कलाई व कोहनियों को डेस्क या टेबल पर टिकाकर कंधों को रिलैक्स रखें। कीबोर्ड का उपयोग करते समय कोहनी समकोण पर रखें तथा भुजाओं (Fore-arms) को क्षैतिज रखें। बीच-बीच में खड़े होते रहें व थोड़ा टहलें। बैठे-बैठे मुड़ना हो तो कमर पर मुड़ने से बचें, इसके बजाय पूरे शरीर को मोड़ें।
- ड्राइविंग - पीठ के लिए पर्याप्त सहारा होना चाहिए। विंग मिरर सही स्थिति में रखें ताकि मुड़ना नहीं पड़े। लंबी यात्रा के बीच-बीच में ब्रेक लें, कार से बाहर निकल कर थोडा घूमें।
- बिस्तर - ऐसे गद्दों पर सोयें जो आपकी कमर व रीढ़ की हड्डी को पूर्ण सहारा दें यानि रीढ़ की हड्डी का प्राकृतिक वक्राकार रूप बना रहे, सीधा ना हो पाये। इसके लिए 32 डेंसिटी का 4-6 इंच मोटा प्योर फोम का गद्दा सही रहता है। मध्यम आकार का तकिया भी लगाना चाहिए। नौ साल से अधिक पुराने गद्दे को बदल कर नया गद्दा काम में लें। गद्दा नहीं हो तो निवार से बनी चारपाई पर भी सोया जा सकता है।
- सोने का तरीका (कमर दर्द में कैसे सोना चाहिए) - हमेशा पीठ के बल सोयें, पेट के बल नहीं, तथा घुटनों के नीचे एक तकिया भी रख सकते हैं। यदि आपके लिए पेट के बल सोना ही एकमात्र आरामदायक स्थिति है, तो पेट के निचले हिस्से को सहारा देने के लिए एक तकिया रखें।
- सुबह-शाम 15 मिनट सिद्ध-योग ध्यान करें।
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