सांसों की बदबू से छुटकारा पाने के 10 आसान उपाय
सांसों की बदबू से हर चौथा व्यक्ति परेशान रहता है l इसके कई कारण हो सकते हैं मगर अच्छी बात यह है कि इसका उपाय संभव है l
हालाँकि यह अत्यधिक गंभीर स्वास्थ्य समस्या नहीं है फिर भी इसके कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं l
सांसों की बदबू की वजह से होने वाले दुष्प्रभाव :-
- आपका सामाजिक जीवन खराब हो सकता है l
- आपकी अपने प्रेमी / प्रेमिका से दूरी बढ़ सकती है l
- आपके प्रियजन आपसे मुंह फेर सकते हैं l
- आप इंटरव्यू में असफल हो सकते हैं l
- आपकी बिज़नेस मीटिंग रद्द हो सकती है l
- आपको शर्मिंदगी अथवा मानसिक हीनता महसूस हो सकती है l
“आप सुबह बिस्तर से उठे - आपके मुंह से बदबू आई, आपने टूथब्रश किया - गंध दूर हो गई, ऑफिस आये - वहां लोग आपसे दूर होते जा रहे हैं - आपने माउथवॉश लिया, लेकिन एक घंटे बाद फिर से मुंह में दुर्गंध, आपने लंच किया - सांसों से लहसुन / प्याज की गंध आ रही है , आपने सिगरेट / शराब पी लोगों को वैसी ही बदबू आ रही है l”
इस प्रकार सांसों के साथ मुंह से लगातार अप्रिय गंध निकलना सांसों की बदबू BAD BREATH या हेलिटोसिस HALITOSIS / FETOR ORIS कहलाता है l
सांसों की बदबू के कारण :
ज्यादातर मामलों में सांस की बदबू का कारण होता है - मुख (दांत, मसूड़ों या जीभ) की खराबी l कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती है l
1. भोजन के कण :
भोजन करने के बाद दांतों के बीच में खाने के कण फंसे रहने से वहां मौजूद बैक्टीरिया उनको हाइड्रोजन सल्फाइड गैस या स्केटोल में बदल देते हैं एवं इन्हीं की बदबू सांसों में आती है। सबसे प्रमुख कारण यही है l
2. शुष्क मुंह (लार की कमी) और सांसों की बदबू :
लार निम्न कार्य करती है -
- लार भोजन को पचाने के लिए आवश्यक एंजाइम प्रदान करती है।
- लार एसिड की मात्रा को नियंत्रित करके मुंह में पीएच स्तर को स्थिर करने में व बैक्टीरिया की वृद्धि रोकने में मदद करती है।
- लार ऑक्सीजन का पर्याप्त स्तर प्रदान करती है जो मुँह के ऊतकों को ताजा और स्वस्थ बनाए रखने के लिए आवश्यक होती है l
शुष्क मुंह अथवा मुंह में लार की कमी (ज़ेरोस्टोमिया) की वजह से मुंह में ऑक्सीजन का स्तर कम होता है, अवायवीय वातावरण बनता है तथा एसिड की मात्रा बढ़ने से बैक्टीरिया बनने की गति बढ़ जाती है, जो की सल्फर का उत्पादन करके बदबू बढ़ाते हैं l
पानी या तरल कम मात्रा में पीने से लार कम बनती है l
धुम्रपान व शराब के सेवन से लार में कमी आती है l
नींद में सोते समय लार कम बनती है, अतः सोकर उठने पर मुंह में दुर्गंध आती है l
नींद में सोते समय लार कम बनती है, अतः सोकर उठने पर मुंह में दुर्गंध आती है l
3. जीभ की संरचना :
जीभ का आकार, खुरदरापन व जीभ के तंतु औसत से अधिक होने पर दुर्गंध पैदा करने वाले बैक्टीरिया जीभ पर फंस जाते हैं तथा एक पीली या सफ़ेद मोटी परत बना लेते है, जीभ पर जमे बैक्टीरिया भी खराब सांस का कारण बन सकते हैं ।
4. आहार का प्रकार :
प्रोटीन की अधिकता वाले खाद्य पदार्थ जैसे दूध, पनीर, अन्य दुग्ध उत्पाद, अंडा, मांस, मछली आदि में सल्फर युक्त एमिनो एसिड की अधिकता होती है जो बैक्टीरिया के बढ़ने और गुणा करने के लिए आदर्श है । अतः मांसाहारी लोगों की सांसों से बदबू अधिक आती है l
लहसुन, प्याज, करी मसाले, गोभी आदि खाने के बाद अधिकतर लोगों के मुंह से इनकी बदबू आती है l "कहा गया है कि एक सेब एक दिन डॉक्टर को दूर रख सकता हैं, लेकिन प्याज का एक टुकड़ा हर किसी को दूर रख सकता है ।"
वजन घटाने के लिए कम कार्बोहाइड्रेट आहार या उपवास के कारण वसा/चर्बी के ईंधन के रूप में जलने से बदबूदार कीटोन बनते हैं, जो सांसों में बदबू का कारण बन सकते हैं l
भोजन के प्रकार में अचानक परिवर्तन से सांसों में बदबू आ सकती है ।
कॉफ़ी , टमाटर का रस , नारंगी का रस, अनानास का रस, अंगूर का रस आदि अम्लीय खाद्य पदार्थों से कुछ लोगों की सांसें खराब हो सकती हैं । एसिड मुंह के बैक्टीरिया को तेज दर से प्रजनन करने में मदद करता है l (जबकि चाय कॉफ़ी से तुलनात्मक रूप से बहुत कम अम्लीय है) l
कॉफ़ी एक विशेष गंध भी छोडती है तथा इससे लार में कमी आती है जो कि सांसों में दुर्गंध का कारण बनती है l
5. मसूड़ों / दांतों / गले (टोंसिल) का संक्रमण :
मसूड़ों का संक्रमण - जिंजीवाईटिस व दांतों में कीटाणुओं के संक्रमण (दांतों की सड़न या पायरिया Pyorrhea / Periodontitis) से दांतों व मसूड़ों में दर्द, खून व मवाद, मसूड़ों में सुजन, दांतों का सड़ना आदि गंभीर चिकित्सकीय स्थिति हो जाती है l
इनका ईलाज दन्त चिकित्सक से करवाया जाना चाहिए, ईलाज मिलने पर थोड़े समय में ठीक हो जाते है, अन्यथा दांत खत्म हो सकते है l
मसूड़ों व दांतों पर Plaque व Tartar की परत / पट्टिका जमने से भी सांसों में बदबू आती है l
गले का संक्रमण - टॉन्सिलाईटिस भी दुर्गंध पैदा करता है l
6. अन्य कारण :
धूम्रपान, तम्बाकू, शराब का सेवन करने के बाद गंध अवश्य आती है l धूम्रपान व तम्बाकू से दांतों का रंग भी खराब हो जाता है l
कब्ज - कब्ज की वजह से विषैले पदार्थ शरीर में रह जाते हैं, जो बदबू का कारण बन सकते हैं l
सायनुसाईटिस व जुकाम ( नाक से निकला बलगम मुंह में आकर जीभ पर अटक जाता है व बदबू का कारण बन सकता है) l
मधुमेह व कीटोएसिडोसिस की वजह से कीटोन बनते है जो खराब साँस का कारण बन सकते हैं l
यकृत / गुर्दे की समस्या, तनाव, उम्र, हार्मोनल समस्याएं, खर्राटे आदि कुछ अन्य कारणों में से हैं ।
कुछ दवाएं जैसे मेथामफेटामाइन, Phenothiazines, कीमोथेरेपी केमिकल, नाइट्रेट्स, अधिक मात्रा में विटामिन सप्लीमेंट्स आदि l
सांसों में बदबू है, कैसे पता करें (सांसों की बदबू के लक्षण व निदान):
बुरी सांसें तीन प्रकार की हो सकती हैं:
(1) सुबह की खराब सांस, (2) अस्थायी खराब सांस, और (3) लगातार खराब सांस।
निम्नलिखित तरीकों से आप सांसों में दुर्गंध का पता लगा सकते हैं :-
- दांतों को ब्रश करते समय मसूड़ों से खून आता है, मसूड़ों में सूजन है या वे लाल दिखते हैं तो आपकी सांसों में बदबू हो सकती है l
- अपने मुंह के सामने हथेली रखिये, उस पर सांस छोड़िये व सुंघिये l
- अपनी कलाई या बांह की अंदर की सतह को जीभ से चाटे व 4 सेकंड बाद सूंघे l
- एक कपड़े का टुकड़ा जीभ पर रखें, कुछ सेकंड बाद बाहर निकाल कर सूखने पर सूंघें l
- एक पेपर बैग में अपने मुंह व नाक से सांस निकाले व सूंघे, बदबू पता चल सकती है l
- आपने फेस मास्क लगा रखा है तो लगभग 1 घंटे बाद बदबू का अहसास होना शुरू हो जायेगा l
- अगर आपकी जीभ पर सफेद या पीले रंग की परत है तो सांसों में बदबू हो सकती है l
- सामने वाले लोगों से पूछा जा सकता है l
- सामने वाला व्यक्ति बात करते समय मुंह घुमाएँ, मुंह पर हाथ रखे या आपको च्युइंग गम खाने को दे तो समझ लीजिये आपकी सांसों में बदबू है l
- अगर सांसों की बदबू पुरानी एवं ज्यादा है, तो आपको हर समय स्वयं अपने नाक व मुंह से महसूस होती रहती है l
- BreathAlert, Halimeter आदि उपकरण से पता लगायें l
- अपने डेंटिस्ट डॉक्टर से जांच करवाएं l
- अन्य डायग्नोस्टिक तरीके काम में ले (डेंटिस्ट की सलाह पर) जैसे गैस क्रोमैटोग्राफी, BANA टेस्ट, Beta-galactosidase टेस्ट l
सांसों की बदबू से छुटकारा पाने के उपाय / समाधान / इलाज :
मौखिक स्वच्छता (Oral Hygiene) :
- दिन में कम से कम दो बार ब्रश करें l एक कहावत है कि - "सुबह ब्रश करना सौंदर्य के लिए जबकि सोने से पहले ब्रश करना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।"
* ब्रश करने का उचित तरीका आगे दिया गया है l - कम से कम एक बार फ्लॉसिंग करें (फ्लॉस- दंत सूत्र / लोमक - दांतों के बीच की दरारों की सफाई करने का धागा ) l फ्लॉसिंग की उचित विधि आगे बताई गई है l
- अपनी जीभ को ब्रश करें अथवा टंग-क्लीनर से साफ़ करें l
- कुछ भी खाने के बाद मुंह में पानी से कुल्ला करें, हो सके तो गर्म पानी से l
- खाने के बाद अपने दांतों को ब्रश करने का समय नहीं मिले तो टूथपिक का प्रयोग करें या चीनी रहित च्युइंग गम चबाएं l
- एंटी-माइक्रोबियल माउथवाश करें l
- आपात स्तिथि में माउथ-फ्रेशनर का प्रयोग करें l
- कृत्रिम दांत / ड़ेंचर को नियमित एंटीसेप्टिक से साफ़ करें l
सूखे मुंह से बचें :
दिन में कम से कम 8 गिलास पानी पियें , फलों का रस पिएं ताकि अधिकाधिक लार बने व मुख से भोजन कणों को साफ़ करें व बैक्टीरिया को कम करें l
लार बढ़ाने के लिए च्युइंग गम चबाते रहें अथवा चिकित्सक से लार बढ़ाने वाली दावा पता करें व काम में लें l
अपना आहार बदलें / संतुलित आहार लें : -
- उच्च प्रोटीन भोजन / मांस के बजाय फल, सब्जियां व सलाद खाएं - मूंगफली, गाजर, सेब, नाशपाती, पनीर और अजवाइन खाएं l
- भोजन ताजा खाएं l
- प्रचुर मात्रा में ताजा दही खाएं - दही में मौजूद एसिडोफिलस से लाभदायक बैक्टीरिया की मात्रा बढती है तथा दुर्गंध पैदा करने वाले बैक्टीरिया की मात्रा घटती है l
- विटामिन C युक्त चीजें खाएं - मसूड़े स्वस्थ रहते हैं - गोभी, लाल मिर्च, स्ट्रॉबेरी, संतरे और कीवी फल आदि l
- कब्ज का ईलाज करें - फाइबर के उच्च स्रोत खाएं - ब्राउन राइस, मटर, अंजीर, सूखे सेम, गेहूं के उत्पाद, और सूखा आलूबुखारा (prunes); नियमित मल त्याग शरीर से उन विषाक्त पदार्थों को निकाल देगा जो खराब सांस का कारण बन सकते हैं। ।
- एवोकाडो फल ( एलिगेटर नाशपाती / रुचिरा या मक्खनफल ) खाएं - काफी हद तक सांसों की बदबू कम करता है, l
- बीन्स खाएं - ये प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का एक अच्छा संतुलन होते हैं l
- धूम्रपान / तम्बाकू / शराब / कॉफ़ी का सेवन बंद या कम करें l
चिकित्सक / विशेषज्ञ से परामर्श लें :
- अपने दंत चिकित्सक से मसूड़ों व दांतों की बिमारियों का ईलाज करवाएं l
- बदबू का अन्य कारण पता करें व उसे चिकित्सक सलाह से दूर करने का उपाय करें जैसे मधुमेह, पेप्टिक अल्सर, अपच, टोन्सीलाईटिस, सायनुसाईटिस, जुकाम आदि l
- एसिडिटी या पेप्टिक अल्सर हो तो एंटासिड व एंटीबायोटिक लें (चिकित्सक सलाह अनुसार) l
सांसों की बदबू दूर करने के घरेलू उपचार / हर्बल उपचार / देशी उपचार :
- मोटी सौंफ ( एनीस) / सौंफ, डिल (सोआ) या इलायची के बीज चबाएं l ये मुख की दुर्गन्ध हटाते है एवं इनमें बैक्टीरिया को मारने की क्षमता भी होती है l
- लौंग का माउथवॉश बनाएं व दिन में दो बार इस्तेमाल करें - 3 लौंग को दो कप उबलते पानी में लगभग 20 मिनट के लिए रखें, छलनी से छानकर तरल को एक जार में डालें । लौंग एक शक्तिशाली एंटीसेप्टिक के रूप में जाना जाता है।
- नींबू के गूदे पर थोड़ा सा नमक छिड़कें व चूसें । यह प्याज या लहसुन खाने के बाद खराब सांसों को रोकने में मदद करेगा ।
- अजवाइन / अजमोद अथवा पुदीने की पत्तियां चबाएं l अजवाइन की पत्तियों में एक प्राकृतिक सांस फ्रेशनर - क्लोरोफिल होता है।
- सौंफ fennel: खराब सांस दूर करने लिए सौंफ का उपयोग दो तरीकों से कर सकते हैं: (1) धीरे-धीरे चबाना ताकि मुंह में लार बनती रहे , या (2) बाजार से एक सौंफ कैप्सूल लें और इसे बेकिंग सोडा के साथ मिलाएं तथा दांतों, मसूड़ों व जीभ पर इस पेस्ट से ब्रश करें l
- सेब का सिरका: प्रत्येक भोजन के बाद एप्पल साइडर विनेगर का एक बड़ा चम्मच सीधे या एक गिलास पानी में मिला कर निगल लें। यह बुरी सांसों से लड़ेगा व भोजन को पचाने में सहायता करेगा ।
- बेकिंग सोडा से दांतों को ब्रश करें। बेकिंग सोडा मुंह में एसिड को बेअसर करके बैक्टीरिया की वृद्धि को रोकता है । बेकिंग सोडा से माउथवाश भी कर सकते हैं l
- हाइड्रोजन पेरोक्साइड युक्त पेस्ट करें । हाइड्रोजन पेरोक्साइड साइनस को स्वस्थ रखने में भी सहायक है। बाजार से 3% हाइड्रोजन पेरोक्साइड लें ,लगभग 50% पानी के साथ मिलाकर प्रत्येक नथुने में पाँच से दस बूंदें डालें व गहरी श्वास लें l
- नमक के पानी से गरारे करें l
- सुबह का खाना जल्दी लें ताकि पर्याप्त मात्रा में लार बन जाये l
यदि उपरोक्त उपायों में से कोई भी काम नहीं करता है, तो क्या किया जा सकता है ?
निम्नलिखित प्रयास किये जा सकते हैं : -
- प्राथमिक कारण पता करें : बुखार, मधुमेह, यकृत रोग, गैस्ट्रिक विकार आदि से सांसों में बदबू हो सकती है। प्राथमिक कारण को हटाने से सांसों की बदबू अपने आप खत्म हो जाएगी ।
- आधुनिक चिकित्सा : संक्रमण - एंटीबायोटिक, एंटी-वायरल और एंटी-फंगल दवा l पुराने या ऑटोइम्यून विकारों के लिए स्टेरॉयड l लार स्राव को बढ़ाने वाली गोलियां भी मदद कर सकती हैं l
- डेंटल क्लीनिंग : यदि दांतों पर PLAQUE व TARTAR जमे हो तो उन्हें दंत चिकित्सक की सहायता से हटवाना ।
- रूट कैनाल थेरेपी (RCT) : दान्त की जड़ खराब या खोखली होने पर उसे सिल्वर अमलगम या सिंथेटिक सामग्री से दंत चिकित्सक द्वारा भरा जाना चाहिए।
- टूथ एक्सट्रैक्शन : यदि दांतों को बड़ी क्षति है, तो दांतों का निष्कर्षण / निकालना सबसे अच्छा होता है ।
- टॉन्सिल्टॉमी : क्रोनिक टॉन्सिलिटिस से पीड़ित रोगियों के लिए टॉन्सिल्लेक्टोमी अथवा नई विधि लेज़र ज़ैपिंग करवाएं l
- मनोवैज्ञानिक परामर्श व ध्यान l
- होम्योपैथी: डॉ रॉबिन मर्फी के अनुसार होम्योपैथी में, 140 से अधिक दवाएं खराब सांस के ईलाज लिए उपलब्ध हैं- एंटीम, अर्निका, सल्फर, पल्सेटिला, नक्सवोमिका, सोरिनम आदि। होम्योपैथिक टिंक्चर जैसे Kerosot Q, Cinnamon Q आदि का उपयोग आमतौर पर गरारे करने के लिए किया जाता है।
- कम कार्ब खुराक: यदि आप वजन कम करने के लिए कम कार्ब खुराक ले रहें है तो कीटोन की बदबू से बचने के लिए खूब पानी पियें, अजवायन के तजा पत्ते चबाएं, चीनी रहित च्युइंग गम चबाएं, दांतों को ब्लीच करने की कोशिश करें, दोनों समय नियमित ब्रश व फ्लॉस करें l
- पुनरावृति ध्यान में रखें : एक बार ठीक हो जाने का मतलब यह नहीं है कि सांसों की बदबू फिर कभी नहीं होगी । अतः यहाँ बताई गई विधियाँ हमेशां प्रयोग करते रहें l
ब्रश करने का सही तरीका :
- दांतों के दोनों तरफ, बीच में, मसूड़ों पर, जीभ पर, गालों के अंदर, मुख गुहा की छत पर ब्रश करें l ब्रश सभी दरारें व कोनों तक जाना चाहिए l
- ब्रश 2 मिनट तक करें l
- उपर - निचे VERTICAL रूप से ब्रश करें, HORIZONTAL नहीं l
- ब्रश 45 डिग्री का कोण बना कर करें l
- टूथपेस्ट में पेरोक्साइड या बेकिंग सोडा हो तो अधिक बेहतर होगा l
- हर तीन महीने बाद ब्रश बदले / नया लें l
- सप्ताह में कम से कम एक बार ब्रश को पानी में अवश्य उबालें या एंटीसेप्टिक से धोएं l
- विशेष टिप : ब्रश पर पेस्ट लगाने से पहले, केवल ब्रश से दांतों को साफ़ करें, इससे दांतों पर जमी परत स्वतः हट जाती है l
- आपके टूथपेस्ट में सोडियम लौरेट नहीं होना चाहिए, कई शोधों से यह ज्ञात हुआ है कि ये मुख कैंसर का कारण बनते हैं l
फ्लॉसिंग करने का सही तरीका :
- लगभग 18 इंच का फ्लॉसिंग धागा या फ्लॉस लें ताकि प्रत्येक दांत के लिए साफ़ धागा मिले l
- दांतों के किनारों पर धागे को C-आकर में मोड़ते हुए उपर निचे घुमाएँ l
- दोनों जबड़ों के आखरी दांतों के पीछे की तरफ भी फ्लॉसिंग अवश्य करें l
Halitophobia :
कुछ लोग सांसों की गंध के प्रति इतने संवेदनशील होते है कि बार बार मुंह को साफ़ करते रहते हैं चाहे उनकी सांसों में बदबू हो ही ना या नाम मात्र हो - इस स्तिथि को हेलीटोफोबिया कहते हैं l
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