Irritable Bowel Syndrome - IBS
संग्रहणी अथवा क्षोभी आंत्र विकार
कारण, लक्षण व उपचार
Irritable Bowel Syndrome - IBS (चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम/संग्रहणी अथवा क्षोभी आंत्र विकार) क्या है?
Irritable Bowel Syndrome (IBS) वास्तव में कोई बीमारी नहीं है, यह एक विकार है/एक खराबी है जिसमें बड़ी आंतें सही तरीके से कार्य नहीं करती हैं, इसके कई विरोधाभासी लक्षण हो सकते है, अतः इसे एक सिंड्रोम कहा जाता है।
- कुछ लोग दस्त से तो कुछ लोग कब्ज से पीड़ित होते हैं।
- लोग तनावग्रस्त व तनहा रहने लगते हैं।
- यह संक्रामक नहीं है, कैंसर कारक नहीं है।
- लोगों में यह विकार तनाव व असुविधा का कारण बनता है तथा शादीशुदा लोगों की सेक्स लाइफ को प्रभावित करता है।
- कारण कुछ भी हो सकता है, वास्तविक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है, हालाँकि इसके लिए जिम्मेदार कई कारक या ट्रिगर बताये गए हैं।
- यह लाइलाज है क्योंकि यह एक सिंड्रोम है, बीमारी नहीं है, हालांकि इसका नियंत्रण किया जा सकता है।
- इसे mucus colitis, functional bowel disease, spastic colon आदि नामों से भी पुकारा जाता है।
Irritable Bowel Syndrome - IBS के कारण:
इसका कोई ठोस व विशेष कारण नहीं होता है, फिर भी निम्न कारक या ट्रिगर इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं:-
- भोजन: वसा की उच्च मात्रा वाले खाद्य पदार्थ, फ़ास्ट- फ़ूड, चाय, कॉफी, कोला, चॉकलेट, शराब, धूम्रपान/तम्बाकू आदि।
- तनाव, चिंता, घबराहट और अवसाद।
- कमजोर प्रतिरक्षा तन्त्र।
- आनुवंशिकता।
- उदरान्त्र बैक्टीरिया जैसे ई कोलाई, साल्मोनेला आदि का संक्रमण (आंत्रशोथ)।
- उम्र व लिंग: किशोरावस्था के बाद तथा महिलाओं में मासिक धर्म के समय अधिक संभावना होती है। कभी कभी छोटे बच्चे भी प्रभावित हो जाते है।
Irritable Bowel Syndrome के लक्षण:
- पेट में रह - रह कर हल्का दर्द, मुख्यतः निचले हिस्से में
- एंठन/मरोड़, पेट में सूजन/गैस
- शौच करने के बाद ये लक्षण कम हो जाते हैं
- कभी कब्ज कभी दस्त
- शौच के बाद लगता है कि पेट पूरा खाली या साफ नहीं हुआ
- मल-त्याग आवृति में परिवर्तन - दिन में 3 बार से ज्यादा अथवा सप्ताह में 3 बार से कम
- चिंता, बैचेनी, अवसाद (डिप्रेशन), अनिद्रा आदि
- जांचें सारी सामान्य आती है
हालांकि, यह हानिकारक नहीं है, मगर पीड़ित की दिनचर्या प्रभावित हो जाती है, तनावग्रस्त या अवसादग्रस्त हो सकता है, काम करने की क्षमता कम हो सकती है।
लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होते हैं, कम/ज्यादा हो सकते हैं, कुछ लोगों को केवल कब्ज या केवल दस्त हो सकते हैं तो कुछ लोगों में दोनों।
कभी कभी सभी लक्षण बंद हो जाते हैं, परन्तु कुछ माह बाद पुनः हो सकते हैं।
लक्षणों के आधार पर आईबीएस का वर्गीकरण इस प्रकार किया जा सकता है:-
दस्तमय IBS - Diarrhoea (IBS-D):- मल-त्यागने की यकायक हाजत होना , पतला/तरल मल, मल के साथ श्लेष्मा या बलगम आना, आंतों की गति में असामान्यता- दिन में तीन से चार बार पेट खाली करना पड़ता है, जो निर्जलीकरण का कारण बन सकता है।
कब्जयुक्त IBS - Constipation (IBS-C):- मल- त्याग हेतु जोर लगाना, पेट में दर्द हो सकता है; मल का शुष्क, मोटा व कठोर होना; मल त्याग आवृति कम होना (सप्ताह में 3 बार या कम) जिससे शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा हो सकते हैं।
एकान्तरित IBS - Alternative (IBS-A) / मिश्रित IBS - Mixed (IBS-M):- कभी कब्ज कभी दस्त।
अवर्गीकृत Unsubtyped IBS (IBS-U):- उपरोक्त तीनों टाइप से भिन्न।
Irritable Bowel Syndrome की पहचान/निदान/Diagnosis:
IBS - Irritable Bowel Syndrome का उपचार/ईलाज:
इस सिंड्रोम को समाप्त करने का अचूक इलाज उपलब्ध नहीं है क्योंकि यह बीमारी ही नहीं है, मगर इसके लक्षण व उनसे होने वाली असुविधा को कम किया जा सकता है।
चिकित्सकीय परामर्श व एलोपैथिक दवाएं:
इस खराबी के शुरुआत में ही चिकित्सक से परामर्श कर लेना चाहिए ताकि आगे बढ़ने से रोका जा सके।
चिकित्सक लक्षणों के आधार पर दवाइयां लिखते है जैसे पेट दर्द कम करने की (antispasmodic/antidepressant), दस्त रोकने की (Alosetron etc), कब्ज हटाने की (Tegaserod maleate etc)।
लेकिन अधिक समय तक लेने पर इनकी आदत पड़ सकती है।
वैकल्पिक उपचार:
एक्यूपंक्चर
हिप्नोटिज्म
योग/ ध्यान
पेट की मालिश
होम्योपैथी
आयुर्वेदिक/हर्बल उपचार
कृपया योग्य चिकित्सक या ट्रेनर की देखरेख में ही इन उपायों को काम में लें।
एक्यूपंक्चर:
इससे तनाव को कम करने, शरीर को आराम देने, व दर्द कम करने में मदद मिलती है।
हिप्नोटिज्म:
इससे भी तनाव कम किया जाता है।
योग व ध्यान:
योग तनाव कम करने के साथ साथ अन्य उपायों की प्रभावित को बढाता है।
ध्यान (Somato-emotional therapy) मानसिक संतुलन के लिए अत्यधिक कारगर विधि है मुख्यतः Automeditation या स्वतः ध्यान।
पेट की मालिश:
पेट की मालिश से आंतों की गति संतुलित होती है।
आरामदायक स्थिति में घुटने मोड़ कर जमीं पर बैठे, हाथ व अँगुलियों से पेट की मांसपेशियों की मालिश करें , पेट के निचले हिस्से से शुरू करते हुए पसलियों तक मालिश करें।
होम्योपैथी:
तनाव कम करने के साथ साथ आँतों की गति व जलन कम करने के लिए उपयोगी।
आयुर्वेदिक / हर्बल उपचार:
यह एक दुष्प्रभाव रहित, स्वाभाविक एवं असरदार उपाय है एवं IBS के उपचार के लिए बेहद लोकप्रिय हो चुका है।
हर्बल चाय/काढ़ा/अर्क आदि या तरल दवा/कैप्सूल के रूप में उपयोग होती है जैसे पुदीना (पेपरमिंट)।
आयुर्वेदिक लीवर टॉनिक, पाचन नियंत्रक, एंटी-ऑक्सीडेंट, प्रोबायोटिक्स आदि प्राकृतिक तरीके से IBS का नियंत्रण कर सकते हैं।
ये औषधियां आंतों की कार्यप्रणाली को सुचारू करती है, आंत्र गति को नियमित करती है व जलन को रोकती है।
संयमित जीवनशैली:
IBS के लिए नियंत्रण के लिए सर्वाधिक आवश्यक होता है - संतुलित आहार, जो आपके पाचन तंत्र के अनुसार सूट हो रहा हो।
आहार अलग अलग व्यक्तियों के लिए अलग हो सकता है।
फाइबर युक्त भोजन ज्यादा करें जैसे फल व सब्जियां (जैसे कब्ज के लिए संतरा व केला)
- घुलनशील फाइबर स्रोत - फल व सब्जी
- अघुलनशील फाइबर स्रोत - साबुत अनाज, सूखे मेवे, टमाटर, किशमिश, ब्रोक्कोली, गोभी
भोजन का समय निश्चित हो।
भोजन के समय आपका मूड सही हो।
पानी पर्याप्त मात्रा में पियें।
दस्त हो तो नियमित अंतराल पर छोटे छोटे भोजन ले।
अगर दूध या दूध से बने पदार्थों से समस्या हो तो कैल्शियम, प्रोटीन व विटामिन B का पूरक आहार अवश्य लें।
इन खाद्य चीजों से दूर रहना चाहिए
- फैटी / वसा युक्त खाद्य पदार्थ - IBS ग्रसित व्यक्ति को वसा का सेवन लगभग 25% कम कर देना चाहिए या उससे भी कम कर देना चाहिए।
- कॉफी (दोनों डिकैफ़िनेटेड और कैफीनयुक्त)।
- कार्बोनेटेड पेय।
- शराब।
IBS का स्व-नियंत्रण कैसे करें:
- सबसे पहले लक्षणों की सूची बनाएं, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के लक्षण अलग होते है।
- अब भोजन तय करें, आहार को बदल बदल कर देखें कि कौन सा आपके लिए सही है, जिससे उपरोक्त लक्षण कम हो रहे हैं।
- मन को शांत रखने व तनाव दूर करने के लिए योग / ध्यान करें, उचित विश्राम / आराम करें।
- नियमित कसरत करें व उचित नींद लें।
IBS से जुड़े कुछ FACTS / TRUTH:
1992 से पहले लोगो में इस सिंड्रोम की अधिक जानकारी नहीं थी।
- IBS जीवन के लिए खतरा नहीं है, यह सिंड्रोम घातक नहीं है, यानि इससे मौत नहीं होती है।
- लगभग 20- 30 % लोगों को यह समस्या होती है, लेकिन आमतौर पर लोग इसकी चर्चा नहीं करते हैं , जबकि इसकी चर्चा करनी चाहिए।
- अज्ञात कारण : इसका कोई स्पष्ट कारण अभी तक सामने नहीं आया है, अतः इसका सटीक उपाय भी नहीं मिला है।
- विरोधाभासी लक्षण - कब्ज या दस्त दोनों हो सकते है, हर व्यक्ति में अलग लक्षण हो सकते है।
- अपना भोजन चुनें - अपने लिए उपयुक्त भोजन का स्वयं निर्धारण करें, जो कि आपको सूट करता हो।
IBS एवं विटामिन व लवण:
चूँकि IBS के लक्षण हर व्यक्ति में भिन्न होते हैं, अतः विटामिन का असर भी सब में अलग अलग होता है।
1. विटामिन सी या एस्कॉर्बिक एसिड -
जिनको दस्त हो उन्हें विटामिन सी कम मात्रा में लेना चाहिए क्योंकि यह रेचक होता है अर्थात दस्त बढ़ाता है।
2. कैल्शियम -
यह कब्ज व दस्त दोनों कर सकता है, अतः अपने शरीर के हिसाब से लेना चाहिए, अधिकतम मात्रा 500 mg तक हो, विटामिन D के साथ अधिक उपयोगी होता है।
- कैल्शियम कार्बोनेट - यह दस्त (IBS-D) में अच्छा रहता है।
- कैल्शियम साईट्रेट - यह कब्ज (IBS-C) में अच्छा रहता है।
3. आयरन -
विटामिन व लवण सप्लीमेंट लेते समय ये ध्यान रखें
मात्रा संतुलित हो, अधिक नहीं हो।
खाली पेट नहीं लें, भोजन के साथ लें, मुख्यतः विटामिन C।
विटामिन पूरक के लिए फार्मासिस्ट से परामर्श कर सकते है।
अलग अलग विटामिन लेते रहें।
Plz, contact us for more knowledge and benefits.