अद्भुत आध्यात्मिक क्रांति "सिद्धयोग ध्यान" से अपने मन व तन को आनंदित करें
- आप हमेशा आनंदित रहे
- आपको शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक शांति और आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति हो
- आपको नशों व बुरी आदतों से छुटकारा मिल जाए
- विद्यार्थियों की स्मरण शक्ति, ग्रहण शक्ति और सहन शक्ति में वृद्धि हो
- आपका ध्यान (Meditation) आसानी से बिना किसी कर्मकांड व युक्ति के लग जाये
- आपके जीवन में पोजिटिविटी (सकारात्मकता) का समावेश हो जाये
👉 क्या यह चमत्कारिक ध्यान सही है?👉 वास्तविकता में ऐसा होता है?इसी तरह के कई सवाल आपके मन में आ रहे होंगें, मेरे मन में भी आये थे, परन्तु, प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती है, आप इस लेख को पढ़िए, बताई गई आसान विधि से खुद ध्यान लगाने बैठिये व चमत्कार देखिये ! हाँ, अपने अनुभव हमसे साझा जरुर करना जी !!
इस लेख में सिद्धयोग ध्यान व उससे होने वाले विभिन्न लाभों की सरल व विस्तृत जानकारी दी गई है।
Table of Contents
- सिद्धयोग ध्यान क्या है? (एक संक्षिप्त परिचय)
- सिद्धयोग ध्यान क्यों करें? सिद्धयोग ही क्यों? (सिद्धयोग ध्यान के लाभ)
- योग क्या होता है (What is Yoga)?
- ध्यान क्या होता है (What is Meditation)?
- योग और ध्यान के बीच मुख्य अंतर क्या है? योग में ध्यान का क्या महत्व है?
- सिद्ध योग से क्या तात्पर्य है? सिद्धयोग ध्यान व योगासन में क्या अंतर होता है?
- सिद्धयोग ध्यान की शुरुआत कैसे करें
- सिद्ध गुरु कौन होता है?
- शक्तिपात दीक्षा क्या होती है?
- सियाग सिद्ध-योग क्या है? समर्थ गुरुदेव सियाग प्रदत्त शक्तिपात दीक्षा एवं सिद्धयोग
- प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती !!
- अक्सर पूछे जाने वाले सवाल व उनके जवाब (FAQs)
कृपया ध्यान दें (Disclaimer)
- यह लेख विश्व के सभी धर्मों के सभी लोगों के लिए है।
- भारतभूमि के देवताओं व ऋषि-मुनियों की हजारों सालों की तपस्या का निचोड़ है यह लेख, जो कि आपको सहज रुप में उपलब्ध हो रहा है।
- अगर आपने इस लेख को अंत तक शांति से पढ लिया तो आपके जीवन की हर समस्या का समाधान मिल सकता है, ऐसा हमें विश्वास है।
- यह लेख किसी व्यक्ति, संस्था या पद्धति का विज्ञापन करने के लिए नहीं लिखा गया है, यह लेख केवल मानव कल्याण के उद्देश्य से लिखा हुआ है। यहाँ आपसे किसी शुल्क, सदस्यता, प्रतिबंध, बाध्यता या शर्त के बारे में कुछ नहीं बोला जायेगा।
- यहाँ दी गई जानकारी से आप फायदा लें तथा दुसरे लोगों को भी फायदा देने की आपकी मनसा हो तो अपने अनुभव इस लेख के अंत में दिए गए कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें तथा इस पोस्ट को आगे शेअर करें।
सिद्धयोग ध्यान क्या है? (एक संक्षिप्त परिचय)
सिद्धयोग ध्यान, ध्यान की वह विधि है जिसमें किसी सिद्ध गुरु के दिए मन्त्र का निर्देशानुसार जाप करने मात्र से साधक के शरीर में कुंडलिनी शक्ति जागृत हो जाती है तथा उसके शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक कल्याण हेतु विभिन्न प्रकार की यौगिक क्रियाएं स्वतः होने लगती है। इस वजह से सिद्धयोग ध्यान को स्वतः योग या आटोमेटिक योग (Auto-meditation) भी कहा जाता है।इसके बारे में विस्तृत जानकारी नीचे दी गई है, कृपया आगे पढ़ते रहिये।
सिद्धयोग ध्यान क्यों करें? सिद्धयोग ही क्यों? (सिद्धयोग ध्यान के लाभ)
रोगमुक्ति, समृद्धि एवं आत्मज्ञान का अद्भुत मार्ग होता है सिद्धयोग।
वर्तमान समय में हर कोई तनावग्रस्त है, जिसे कम करने के लिए लोग औषधियों या नशे का सहारा लेते हैं, मगर फिर भी फायदा नहीं होता है।
कुछ लोग योगासन, प्राणायाम, बन्ध, मुद्राएं आदि स्वयं अथवा योगा टीचर की देखरेख में करते हैं। मगर समयाभाव से अथवा धन की कमी के कारण लोग नियमित नहीं कर पाते हैं।
1. सर्व-कल्याण का मार्ग -
किसी व्यक्ति या साधक के लिए उसके शेष जीवन में शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक कल्याण प्राप्त करने का एक अद्भुत तरीका है - सिद्धयोग ध्यान।
2. शारीरिक सुख (Physical Well-Being) -
यह साधक के शारीरिक स्वास्थ्य, प्रतिरक्षा प्रणाली और फिटनेस को बनाए रखता है तथा विभिन्न रोगों से पूर्ण मुक्ति प्रदान कर सकता है।
3. मानसिक या मनोवैज्ञानिक सुख (Mental or Psychological Well-Being or Mindfulness) -
यहां साधक एक अनोखे आनंद (खुशी) का अनुभव करता है, जो साधक के मन से तनाव, अवसाद, चिड़चिड़ापन, क्रोध, चिंता, तनाव आदि को दूर करता है।
4. आध्यात्मिक सुख (Spiritual Well-Being) -
सिद्ध-योग ध्यान साधक में आत्मज्ञान जगाता है तथा आत्मा को परमात्मा से मिलाने में मदद करता है। हमें अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन में अपार खुशी मिलती है।
5. पर्यावरण एवं आर्थिक कल्याण (Environmental and Economic well-being) -
यह साधक के जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि को बढ़ाता है।
6. नशा मुक्ति (De-addiction) -
सिद्ध-योग ध्यान के निरंतर अभ्यास से साधक धीरे-धीरे सभी बुरी आदतों, नशीले पदार्थों और व्यसनों जैसे धूम्रपान, शराब, ड्रग्स आदि से छुटकारा पा लेते हैं।
7. विद्यार्थियों के लिए अत्यंत लाभप्रद (Students Welfare) -
यह विद्यार्थियों व युवाओं में स्मरण शक्ति (memory power), ग्रहण शक्ति (grasping power) और सहन-शक्ति (endurance) को बढ़ाता है। यह उनके शरीर को स्वस्थ और मन को एकाग्र (concentrated) भी बनाता है।
8. नि:शुल्क व आसान -
यह सभी पुरुषों, महिलाओं, बच्चों और वृद्धों के लिए एक नि:शुल्क, आसान, समय बचाने वाली (मात्र 15 मिनट सुबह-शाम) और अत्यधिक प्रभावी ध्यान की प्रक्रिया है। इसमें साधक को अपनी तरफ़ से अत्यधिक प्रयास की कोई जरुरत नही होती है।
9. सर्व-सुलभ (सर्वत्र उपलब्धता/Available at Your Doorstep) -
इसका अभ्यास दुनिया में कहीं भी किया जा सकता है, आप इसे अपने घर पर कर सकते हैं, बिना किसी शारीरिक प्रशिक्षक की आवश्यकता के।
10. हानि-रहित ध्यान विधि -
सिद्ध-योग ध्यान साधक को किसी भी प्रकार की हानि नहीं पहुँचाता है (अहानिकर)।
11. कोई बाध्यता नहीं (No Compulsion) -
ध्यान करने के लिए किसी तरह की कोई बाध्यता या शर्त नहीं होती है, जैसे - किसी विशेष योग या आसान की जरुरत नहीं, कोई कर्मकांड नही, जीवनशैली बदलने की जरुरत नहीं, किसी भी देश, धर्म, जाति, या समाज के लिए कोई पाबन्दी नहीं, परिवार छोड़ने की (सन्यासी बनने की) जरूरत नहीं, आदि- आदि।
12. अद्भुत अनुभव -
बहुत से साधकों को (सभी को नहीं) विभिन्न प्रकार के अद्भुत अनुभव या दृष्टान्त प्राप्त होते हैं, जैसे - अपना भुत-भविष्य दिखना, ईश्वर दर्शन, एवं अन्य कई तरह के अवर्णित अनुभव।
योग क्या होता है (What is Yoga)?
योग का शाब्दिक अर्थ 'जुड़ना' होता है।
सम्पूर्ण विश्व में शारीरिक क्रियाएं / योगासन / व्यायाम / प्राणायाम को योग (Yoga) माना जा रहा है। लेकिन भारतीय दर्शन (Indian Philosophy) के अनुसार योग का अभिप्राय होता है - आत्मा का परमात्मा से मिलन (Union of the soul with the supreme)।
ध्यान क्या होता है (What is Meditation)?
ध्यान वो साधना है जिसमें शारीरिक स्वास्थ्य व मानसिक शांति पाने के लिए मन को नियंत्रित किया जाता है। यह विभिन्न संस्कृतियों में हजारों वर्षों से प्रचलित है तथा अक्सर आध्यात्मिक और धार्मिक परंपराओं से जुड़ा होता है।
ध्यान करने के लिए आरामदायक स्थिति में बैठ कर किसी वस्तु, सांस, मंत्र या दृश्य पर पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
ध्यान के कई प्रकार होते हैं, जैसे सचेतन ध्यान (mindfulness meditation), प्रेम-कृपा ध्यान (loving-kindness meditation), भावातीत ध्यान (transcendental meditation), सिद्धयोग ध्यान आदि।
ध्यान लगाने में कुछ चुनौतियाँ या कठिनाइयाँ भी होती है, जैसे मन को शांत या नियंत्रित करने में कठिनाई, नकारात्मक विचार आदि। इनके समाधान हेतु लगातार अभ्यास करते रहना, एकाग्रता बनाये रखना, तथा नकारात्मक विचारों व भावनाओं पर काबू पाना जरुरी होता है।
योग और ध्यान के बीच मुख्य अंतर क्या है? योग में ध्यान का क्या महत्व है?
भारतीय दर्शन में आठ योग / अष्टांग योग (भक्तियोग, कर्मयोग, राजयोग, क्रियायोग, ज्ञानयोग, लययोग, भावयोग व हठयोग) तथा आठ साधनाएं (यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान व समाधि) बताए गए हैं।
योग की आठ साधनाओं में से एक साधना "ध्यान" होती है। साधना का मतलब होता है मन पर नियंत्रण। अर्थात ध्यान योग का ही एक उप-प्रकार होता है, जो कि आत्मा के परमात्मा से मिलन हेतु मन को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है (योग में ध्यान का महत्व)।
सिद्ध योग से क्या तात्पर्य है? सिद्धयोग ध्यान व योगासन में क्या अंतर होता है?
वर्तमान युग में बौद्धिक प्रयास से भारतीय दर्शन के आठ योग व आठ साधनाओं का पालन करना लगभग असम्भव है, अत: इतने महत्वपूर्ण दर्शन की जानकारी लोगों में नगण्य है।
लेकिन सिद्धयोग ध्यान से इन सभी योग व साधनाओं का फायदा सहज व सरल रूप से लिया जा सकता है।
सिद्ध-योग का शाब्दिक अर्थ होता है - सिद्ध आध्यात्मिक शक्तियों के प्रभाव से परमात्मा के साथ आत्मा का मिलन।
आत्मा का परमात्मा से मिलन एक सिद्ध गुरु (जिसे आध्यात्मिक शक्तियां / सिद्धियां प्राप्त हो) की सहायता से होता है।
एक सिद्ध गुरु निम्न से किसी एक तरीके से अपने शिष्य या साधक को प्रभावित कर सकता है -
- स्पर्श (कृष्ण-अर्जुन),
- दर्शन,
- शब्द-मंत्र, अथवा
- शिष्य द्वारा गुरु का स्मरण व संकल्प मात्र (द्रौणाचार्य-एकलव्य)
सिद्ध गुरु के प्रभाव से शिष्य के शरीर में कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है फलस्वरूप शिष्य के शरीर में विभिन्न क्रियाएं (यौगिक क्रियाएं) होती हैं, ऐसा योग सिद्धयोग / स्वतः योग (Automatic Yoga) कहलाता है।
सिद्धयोग से जागृत शक्ति उपर्युक्त सभी अष्टांग योग व साधनाएं स्वत: करवाती है, अतः इस योग को पूर्ण योग अथवा महायोग भी कहते हैं।
इस प्रकार सिद्धयोग द्वारा साधक (शिष्य) के शरीर में यौगिक क्रियाएं स्वतः होती हैं, अतः यह योगासन से अलग होता है जहाँ यौगिक क्रियाएं साधक द्वारा प्रयास व अभ्यास करने पर होती है, स्वतः नहीं होती है।
सिद्धयोग ध्यान पद्धति, कुंडलिनी जागरण के सिद्धांत पर आधारित है जिसमें एक सिद्धगुरु द्वारा दिए गए सिद्ध-मन्त्र (संजीवनी मन्त्र) के निरंतर जप से साधक के शरीर में मूलाधार यानि रीढ़ के आधार में सुप्त अवस्था में विद्यमान कुंडलिनी शक्ति जागृत होकर उपर की ओर (उर्ध्वमान दिशा में) बढ़ती है, जिससे साधक के शरीर में यौगिक क्रियाएं होने लगती हैं।
सिद्धयोग ध्यान की शुरुआत कैसे करें
सिद्धयोग ध्यान शुरू करने के लिए आपको केवल तीन आसान कदम उठाने होंगें -- पहला कदम - एक सिद्ध गुरु की खोज।
- दूसरा कदम - सिद्ध गुरु से सिद्ध मंत्र की प्राप्ति (शक्तिपात दीक्षा)।
- तीसरा कदम - सिद्ध गुरु के आदेशानुसार ध्यान के लिए बैठना व मन्त्र जाप करना।
उसके बाद जो होना है वो सिद्ध गुरु के प्रभाव से होगा यानि कि साधक के शरीर में शारीरिक या यौगिक क्रियाएं अपने-आप होंगी।
बस यही है सिद्धयोग ध्यान।
सिद्ध गुरु कौन होता है?
संसार में एक वस्तु का दूसरी वस्तु में रूपांतरण, परिवर्तन या बदलाव किसी अन्य वस्तु की सहायता से ही होता है, जैसे लोहे को आकार देने के लिए घण या हथौड़े की जरूरत होती है।
हम सभी जानते हैं कि मनुष्य ईश्वर का स्वरूप है तथा ईश्वर मनुष्य के भीतर ही होता है जिसे परमात्मा कहा गया है।
आत्मा का परमात्मा से मिलन के लिए एक आत्मा को दूसरी आत्मा से प्रेरणा या शक्ति लेनी पड़ती है।
शक्ति प्रदान करने वाली इस आत्मा को गुरु या आचार्य जबकि शक्ति लेने वाली आत्मा को शिष्य या चेला कहा गया है।
गुरु (गु - अज्ञान, रु - नाशक) का पद गोविन्द से बड़ा माना गया है क्योंकि गुरु में गोविन्द से मिलाने की शक्ति होती है।
एक सद्-गुरु या सिद्धगुरु या समर्थ गुरु या आध्यात्मिक गुरु या यथार्थ गुरु में अपनी शक्ति को शिष्य में संप्रेषित करने की क्षमता होनी चाहिये एवं शिष्य में वह शक्ति ग्रहण करने की क्षमता होनी चाहिए - यथार्थ शिष्य।
ऐसे ही समर्थ गुरु हुएं हैं - ब्रह्मलीन श्री राम लाल जी सियाग जो सिद्धयोग नामक आराधना की सात्विक क्रांति के मार्ग से विश्व भर के लाखों साधकों के जीवन को चेतन कर चुके हैं एवं आगे भी यह कार्य अनवरत जारी रहेगा।
शक्तिपात दीक्षा क्या होती है?
हिन्दू धर्म में देवियों को देवताओं के बराबर माना गया है। लक्ष्मी, पार्वती, सरस्वती, सीता, राधा, गंगा, गीता, गायत्री, दुर्गा, काली आदि कई नामों से जानी जाने वाली देवियों को "शक्ति" कहा गया है।
यही दिव्यशक्ति प्रत्येक मनुष्य के शरीर में रीढ की हड्डी के निचले सिरे - मूलाधार में नागिन की तरह साढे तीन फेरे (कुण्डली) लगाकर सुषुप्त अवस्था में विराजमान होती है, जिसे योगियों ने "कुण्डलिनी" कहा है।
किसी मनुष्य (शिष्य) की सोई हुई कुण्डलिनी शक्ति को समर्थ गुरु द्वारा स्पर्श, दर्शन, मंत्र आदि से जागृत करने को "शक्तिपात दीक्षा" कहा जाता है।
यह शक्ति जागृत होकर ऊपर की तरफ (उर्ध्वगमन) बढती है, ततस्वरूप शरीर में यौगिक क्रियाएं स्वतः ही होती है।
इस जगत जननी दिव्यशक्ति के जागरण से मानव जीवन की ऐसी कौनसी समस्या है जो हल नहीं की जा सकती है?
- यह ज्ञान की असीम पराकाष्ठा है,
- मनुष्य पूर्णता (आत्म ज्ञान) को प्राप्त करता है,
- तमाम परेशानियों व बीमारियों को दूर कर पाता है, तथा
- समृद्धि को प्राप्त करता है।
सियाग सिद्ध-योग क्या है? समर्थ गुरुदेव सियाग प्रदत्त शक्तिपात दीक्षा एवं सिद्धयोग
गुरुदेव सियाग शक्तिपात दीक्षा हेतु एक संजीवनी मंत्र (रामलाल जी सियाग गुरु मंत्र) देते हैं जिसके सघन जप व नियमित ध्यान से शिष्य के शरीर में सुप्त कुण्डलिनी शक्ति जागृत हो जाती है।
गुरुदेव प्रदत्त सिद्धयोग की यह विधि नि:शुल्क, आडम्बर व कर्मकाण्ड रहित, हर देश-जाति-धर्म के अमीर-गरीब, साधु-गृहस्थ, बीमार-स्वस्थ, स्त्री-पुरुष, बच्चे, युवा, वृद्ध सभी के लिए सम्पूर्ण रोगमुक्ति, नशों से छुटकारा, भौतिक समृद्धि व आत्मज्ञान प्राप्ति का प्रभावी, आसान व सहज तरीका है।
इस आराधना का सबसे अद्भुत पहलू यह है कि ध्यान करते वक्त साधक के शरीर में अलग - अलग यौगिक क्रियाएं, आसन, बंध, मुद्राएं व प्राणायाम आदि बिना प्रयास किए अपने आप होने लगते हैं जो कि कुण्डलिनी शक्ति के जागृत होकर ऊपर की ओर बढने के कारण होते हैं।
गुरु सियाग सिद्ध योग में हर साधक को अलग-अलग क्रियाएं होती है। ध्यान में कई साधकों को दिव्य प्रकाश दिखना, सुगंध महसूस होना, भूत-भविष्य की घटना दिखना जैसी कई अनुभूति होती है।
कतिपय साधकों को तो अति दुर्लभ मुद्रा - खेचरी मुद्रा भी स्वतः लग जाती है, इसमें साधक की जीभ मुँह के अन्दर की तरफ मुड़कर ऊपर तालू में धंस जाती है तथा तालू से एक विशेष रस टपकता है जो कि साधक की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाला होता है, योगियों ने इस रस को 'अमृत' कहा है।
स्वतः यौगिक क्रियाएं होने से साधक को एक अनोखे आनंद की अनुभूति होती है जिसे ईश्वर के नाम का नशा कहते है। इस आनंद के कारण साधक का चिड़चिड़पन, गुस्सा, चिन्ता-फिक्र आदि दूर हो जाते हैं। एक सकारात्मक परिवर्तन आता है, बुरी आदतें व नशा स्वतः छूट जाते हैं। युवा वर्ग में स्मरण शक्ति, ग्रहण शक्ति व सहनशीलता बढ जाती है, शरीर तंदुरुस्त व मन एकाग्र हो जाता है।
कुण्डलिनी जागरण से साधक को किसी भी तरह की हानि नहीं होती है।
जागृत कुण्डलिनी शक्ति का मूल उद्देश्य साधक को आत्मज्ञान (मुक्ति/मोक्ष) दिलवाना होता है, लेकिन पहले वह साधक को त्रिविध तापों / रोगों (आदि भौतिक- फिजिकल, आदि दैहिक- मेंटल, आदि दैविक- स्पिरिचुअल) से मुक्ति दिलवाती है। इस प्रकार साधक के जीवन में सम्पूर्ण परिवर्तन लाकर सात्विक मार्ग पर आत्मज्ञान प्राप्त करवाती है।
प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती !!
आपने अब तक जो भी पढा है क्या विश्वास हो रहा है कि ऐसा भी वर्तमान वैज्ञानिक युग में हो सकता है, कई अन्य लोगों की तरह हमने भी जब यह शुरू में सुना था तब डॉक्टर होने की वजह से विश्वास नहीं किया, मगर चूंकि जिज्ञासा शांत करनी थी तो गुरुदेव से मंत्र (गुरु सियाग संजीवनी मंत्र) लेकर ध्यान लगाया और...... जीवन मे पहली बार चमत्कार देखा, फिर पता लगा कि यह पूर्णतया वैज्ञानिक है एवं इसे अध्यात्म विज्ञान (Spiritual science) कहा जाता है, यह सम्पूर्ण विश्व को भारतीय दर्शन की अद्भुत देन है जो मानव की हर समस्या को हल करते हुए उसका कल्याण कर सकती है।
आपको भी स्वयं यह चमत्कार महसूस करना है तो अगला लेख अवश्य पढें, चमत्कारी संजीवनी मंत्र जानें एवं बताई गई विधि (सियाग सिद्ध योग विधि) से ध्यान करें, तत्पश्चात अपने अनुभव हमसे साझा करें।
कृपया यह लिंक खोलें व अगला लेख पढें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल व उनके जवाब (FAQs)
सिद्धयोग ध्यान से समन्धित निम्न सवाल अक्सर पूछे जाते हैं, अगर आपका भी कोई सवाल है जो यहाँ नहीं दिया गया है तो आप नीचे जाकर कमेंट बॉक्स में या Contact Us पर क्लिक करके हमसे पूछ सकते हैं -
Q. क्या सिद्धयोग ध्यान एक धर्म है? सिद्धयोग ध्यान कौनसा धर्म है?
नहीं, सिद्धयोग ध्यान कोई धर्म नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अभ्यास है जिसे किसी भी धर्म या सम्प्रदाय के लोग कर सकते हैं।
Q. क्या मुझे सिद्धयोग ध्यान का अभ्यास करने के लिए पूर्व अनुभव एवं उच्च आध्यात्मिक या धार्मिक होने की आवश्यकता है?
नहीं, किसी भी आध्यात्मिक स्तर का व्यक्ति सिद्धयोग ध्यान का अभ्यास कर सकता है, पूर्व अनुभव जरूरी नहीं है। यह व्यक्ति (आत्मा) को उसके भीतरी व्यक्ति (परमात्मा) से मिलाने की एक युक्ति मात्र है।
Q. सिद्धयोग ध्यान के लाभ कितने समय में दिखने लगते हैं?
सिद्धयोग ध्यान करने के दौरान ही असीम आनंद व यौगिक क्रियाओं को महसूस किया जा सकता है, लेकिन दीर्घकालिक लाभों का अनुभव करने के लिए नियमित अभ्यास आवश्यक है।
Q. क्या मैं स्वयं सिद्धयोग ध्यान का अभ्यास कर सकता हूँ, या मुझे किसी गुरु / ट्रेनर की आवश्यकता होगी?
आप स्वयं सिद्धयोग ध्यान का अभ्यास कर सकते हैं, किसी गुरु / ट्रेनर की आवश्यकता नहीं होगी, आपको केवल बताये गए निर्देशों का पालन करना है, आप घर बैठे सिद्धयोग ध्यान सीख सकते हैं एवं कर सकते हैं।
Q. यदि मैं पारंपरिक ध्यान मुद्रा में बैठने में सक्षम नहीं हूँ तो क्या मैं सिद्धयोग ध्यान कर पाउँगा?
सिद्धयोग ध्यान आप किसी भी आरामदायक मुद्रा या स्थिति में लगा सकते हैं, जैसे साधारण रूप में बैठकर, पद्मासन मुद्रा में, कुर्सी पर बैठ कर, पलंग पर लेट कर, आदि।
Q. सिद्धयोग ध्यान करने के लिए किस दिशा में मुंह करके बैठें?
सिद्धयोग ध्यान करने के लिए आप किसी भी दिशा में मुंह करके बैठ सकते हैं।
Q. सिद्धयोग ध्यान करने का सबसे सही समय कौनसा होता है?
सिद्धयोग ध्यान अपनी सुविधानुसार कभी भी किया जा सकता है, लेकिन खाली पेट करना आवश्यक होता है, अतः सुबह-शाम जब आपका पेट खाली हो सिद्धयोग ध्यान लगायें।
Q. मैं अपने निकट सिद्धयोग केंद्र या कार्यक्रम कैसे खोज सकता हूँ?
आप सिद्धयोग की अधिकृत वेबसाइट (the_comforter.org) पर सिद्धयोग केंद्रों और कार्यक्रमों की सूची प्राप्त कर सकते हैं।
Q. सिद्धयोग ध्यान से कौनसी बीमारियाँ सही होती है?
गुरुदेव रामलाल जी सियाग कहा करते थे कि बिना श्रद्धा के ध्यान करोगे तो सिरदर्द भी ठीक नहीं होगा, लेकिन पूर्ण श्रद्धा से नियमित ध्यान करने से लोगों के कैंसर, एड्स, टी.बी. जैसे असाध्य रोग भी ठीक हो चुके हैं।
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