सिद्धयोग ध्यान की विधि
- सजीव मानव पर प्रभाव डाल सकता है?
- मानव दिमाग एवं शरीर पर नियंत्रण कर सकता है?
- मानव का कल्याण कर सकता है?
"प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती"
इस लेख में बताए गए निर्देशों का पूर्ण श्रद्धा से पालन करते हुए स्वयं ध्यान करके देखें, एवं चमत्कार का अनुभव करें।
अगर आपने सिद्धयोग से संबंधित इससे पहला लेख नहीं पढा है, सिद्धयोग व उसके लाभ नहीं जानते हैं तो कृपया पहले इस लिंक को खोल कर उस लेख को पढिए, उसके बाद ही यहाँ आए।
आपको क्या करना होगा? सिद्धयोग ध्यान कैसे करें?
सिद्धयोग या स्वत:योग से ध्यान करने के लिए आपको तीन कार्य करने होंगे (सियाग सिद्ध योग विधि):-
1. शक्तिपात दीक्षा लेना (एक बार)।
2. मंत्र जाप (प्रतिक्षण)।
3. ध्यान लगाने बैठना (सुबह व शाम 15 -15 मिनट)।
कृपया समस्त निर्देश अच्छी तरह पढें व पुन: 2-3 बार पढ लें, तत्पश्चात पूर्ण पालन करते हुए ध्यान शुरू करें।
1. शक्तिपात दीक्षा लेना:-
समर्थ गुरु श्री रामलाल जी सियाग की दिव्य वाणी में संजीवनी मंत्र को सुनना शक्तिपात दीक्षा कहलाता है।
यह स्वयं सिद्ध मंत्र भगवान शिव से योगी मत्स्येन्द्रनाथ, महायोगी गोरखनाथ, गंगाईनाथ तक हजारों लाखों वर्षों की तपस्या से चेतन होकर समर्थ गुरुदेव सियाग को दीक्षा में मिला।
नाथ मत के योगियों द्वारा इस मंत्र की प्राण प्रतिष्ठा की हुई है।
यह मंत्र केवल गुरुदेव की आवाज में सुनने के बाद ही कार्य करता है, आप और हमारी आवाज में नहीं।
मंत्र सरल है एवं याद रखने में आसान है।
मंत्र को बोलना नहीं है, केवल मन ही मन बिना जीभ व होंठ हिलाए जपना है जैसे पुस्तक पढते समय मन ही मन पढते है।
इस मंत्र को गुरुदेव की आवाज में सुनने के निम्न तरीके हैं -
- मोबाईल पर कॉल करके - 07533006009
- गुरुदेव की वेबसाइट पर - www.the-comforter.org
- इस विडियो को देख कर।
- अन्य सोशियल मीडिया जैसे फेसबुक, यु-ट्यूब, ट्विटर आदि पर (अधिक जानकारी आगामी लेख में)।
2. मंत्र जाप:-
प्रतिक्षण उठते-बैठते, खाते-पीते, कार्य करते हुए जब मौका मिले इस मंत्र को मन ही मन जपते रहना है।
शुरु शुरु में बार बार याद करके जपना पड़ेगा, लेकिन कुछ समय बाद अपने आप जपना चालू हो सकता है, ऋषियों ने इसे "अजपा" (नाम रट) कहा है।
3. ध्यान लगाना (गुरु सियाग मंत्र कुण्डलिनी जागरण विधि):-
प्रतिदिन सुबह शाम दोनों समय खाली पेट 15 मिनट के लिए गुरुदेव की फोटो के सामने बैठ कर ध्यान करना है -
- खुली, समतल व हवादार जगह में जमीन पर आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं।
- गुरुदेव की तस्वीर सामने रखें एवं 1-2 मिनट तक खुली आँखों से एकाग्रता से देखें।
- अपनी समस्या के समाधान हेतु गुरुदेव से करुण प्रार्थना करें।
- अब आँखें बंद करके गुरुदेव के चित्र को अपने आज्ञाचक्र पर (जहाँ बिन्दी या तिलक लगाते हैं या शिव के तीसरे नेत्र की जगह) केन्द्रित करते हुए गुरुदेव से 15 मिनट ध्यान लगाने की अरदास करें।
- अब गुरुदेव द्वारा बताए गए दिव्य मंत्र का मन ही मन सघन जाप करें।
- इस दौरान कोई भी शारीरिक, मानसिक, यौगिक क्रिया हो सकती है, कृपया घबराएं नहीं व इन्हें रोकने का प्रयास ना करें तथा शरीर को ढीला छोड़ दें। ध्यान अवधि पूर्ण होने पर ये क्रियाएं स्वत: रूक जाएगी।
कृपया ध्यान दें:-
- संजीवनी मन्त्र सुनने के बाद पहली बार ध्यान करने बैठने से पहले लगभग एक दिन तक उसे मन ही मन जपते रहिये ताकि आपका पहला ध्यान सफलतापूर्वक लग जाये, (ये लेखक के निजी व अनुभव आधारित विचार हैं)।
- ध्यान की अवधि में मंत्र जाप लगातार जारी रखें, आँखें ना खोलें, व बीच में उठें नहीं।
- सामूहिक ध्यान कर रहें हैं तो एक दूसरे से पर्याप्त दूरी बनाकर बैठें, तथा दूसरों की यौगिक क्रियाओं को सुनकर विचलित नहीं होवें, अपना ध्यान आंखें बंद रखते हुए जारी रखें।
- गुरुदेव की तस्वीर के लिए इस लेख में दी गई तस्वीर का स्क्रीनशॉट ले सकते हैं, वेबसाइट से ले सकते हैं, या घर पर मंगवा सकते हैं, इस बारे मे आगामी लेख में विस्तृत जानकारी दी जाएगी।
- कृपया मंत्र मुँह से बोलकर किसी को ना बताएं, अगर किसी के समझ में नहीं आ रहा है तो उसे लिख कर बताएं।
- किसी भी दिशा में मुँह करके बैठ सकते हैं, कोई धूप अगरबत्ती करने की जरुरत / बाध्यता नहीं है।
- चटाई, गद्दा आदि आवश्यकतानुसार बिछा सकते हैं।
- ताबीज, या किसी देवी देवता की मूर्ति पहनी हो तो ध्यान के समय उतार दें।
- जमीन पर नहीं बैठ सकते हैं तो कुर्सी, सोफा, चारपाई या पलंग पर बैठ सकते हैं, बैठने की स्थिति में नहीं हैं तो खड़े खड़े या सोते हुए भी ध्यान कर सकते हैं।
- ध्यान हेतु केवल 15 मिनट का समय ही मांगना है।
- अधिकांश लोगों में 15 मिनट बाद स्वतः आँखें खुल जाती हैं, अगर शुरू शुरू में ऐसा न हो तो अलार्म लगा सकते हैं।
- यौगिक क्रियाओं का होना साधक की शारीरिक, मानसिक स्थिति व विश्वास (faith) पर निर्भर करता है।कुछ दिखना - तेज रोशनी, रंग आदि, सुनना, सुगंध आना, महसूस होना, कंपन, झुकना, लेटना, हँसना, रोना, योगासन होना, प्राणायाम होना, ताली बजाना आदि कुछ भी हो सकता है।
- ये सब अलग अलग व्यक्तियों में अलग अलग होता है, शरीर की आवश्यकतानुसार होता है।
- अगर किसी व्यक्ति के शरीर में कोई क्रिया नहीं होती है तो या तो उसे जरूरत नहीं है या फिर वह अभी नकारात्मक है, ऐसे में विश्वास के साथ लगातार मंत्र जाप व ध्यान में बैठना जारी रखिए, गुरुदेव से प्रार्थना करते रहिए, कुछ दिन या महिनों बाद ध्यान लगना शुरू हो जाएगा।
- सबसे अच्छी बात है कि आनंद की अनुभूति प्रत्येक व्यक्ति को होती है जबकि इससे किसी तरह का कोई नुकसान कभी नहीं होता है, अतः बेफिक्र होकर ध्यान लगाने हेतु बैठें।
क्या आप भी ध्यान लगाने बैठेंगे, भारतीय अध्यात्म विज्ञान का स्वयं साक्षात्कार करेंगे? अगर जो बताया गया है यहाँ, आपको सब मिल जाए या महसूस हो जाए तो क्या जनकल्याण के लिए दूसरे लोगों से इसे साझा करेंगे? मैं तो 2012 से सबको बता रहा हूँ तथा सैंकड़ों लोग लाभान्वित हो चुके हैं।
कृपया अपना अनुभव हमसे अवश्य साझा करें, नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें या ऊपर संपर्क करें खोलें व प्रत्युत्तर दें।
FAQs
Q. सिद्ध ध्यान क्या है?
सिद्धयोग ध्यान को ही सिद्ध ध्यान कहा जाता है।
सादर 🙏
🙏 जय गुरुदेव 🙏
#शक्तिपात दीक्षा, #संजीवनी मंत्र, #योग, #गुरुदेव सियाग
Jai gurudev behut he badeya Yog h har aadmi ko kerna chaheya
ReplyDeleteजय गुरुदेव, आपका बहुत - बहुत धन्यवाद l
Deleteकृपया अपने ग्रुप्स में शेअर अवश्य कीजिये l
जय गुरुदेव,
Deleteकमेन्ट करने के लिए आपका सादर आभार l
कृपया अधिक से अधिक जगहों पर शेयर करें l
जय गुरुदेव l
Me bhi siddhaguru shri gurumayi chidvilasanand ka shishya hu aapne jo kuch bhi kaha hai bilkul sahi hai... Me apna hi example dena chahta hu ki mai bahut hi bhtka hua ladka tha or hum log bahut phle se gurudev se jude hai pr me siddhyog abhyas karta nahi tha par jb se krne lga hu mujhme adbhut parivrtan hue hai or apne guru ke prati or sabhi ke prati prem bhav huaa hai aur vastvik satya ko janne ki lalak badh rahi din pratidin aur antarik shanti ki anubhuti hui hai.. siddhayog mahayog hai. Sadgurunath maharaj ki jay
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