दुबारा नहीं होगी गुर्दे की पथरी!! जानें कैसे?
Kidney Stones will never Pain you again!! How?
प्रत्येक छ:ठा व्यक्ति अपने जीवन में कभी ना कभी पथरी की समस्या से प्रभावित होता ही है।
एक बार सही होने के बाद पुन: पथरी होना भी अक्सर देखा जाता है।
अगर आप भी पथरी पीड़ित हैं एवं चाहते हैं कि यह आसानी से निकल जाए व पुन: नहीं हो तो इस लेख को अंत तक अच्छी तरह पढिए एवं अंत में दी गई विशेष जानकारी का फायदा लीजिए।
जानकारी अच्छी लगे तो शेअर कीजिए, कमेंट कीजिए व फीडबैक दीजिए।
गुर्दे की पथरी |
क्या है पथरी?
कुछ मिनरल तत्व या लवण आपस में इकट्ठे होकर या जम कर छोटी अथवा बड़ी पत्थर नुमा कठोर संरचनाएं बना देते हैं जो कि दर्द एवं संबंधित अंग के कार्य प्रभावित होने का कारण बनती है।
इन कठोर चीजों को पथरी / अश्मरी / stone / calculus / -lith कहा जाता है, जैसे गुर्दों की पथरी को वृक्क अश्मरी या kidney stones या renal calculi या nephrolith कहते हैं।
क्या आप जानते हैं?
- भारत में 15 करोड़ से अधिक लोग पथरी पीड़ित है।
- गुर्दे की पथरी पुरूषों में महिलाओं की तुलना में 4 गुना ज्यादा होती है।
- 30 - 60 वर्ष की उम्र में ज्यादा होती है, हालांकि किसी भी उम्र में हो सकती है।
- बच्चों व वृद्ध व्यक्तियों में मूत्राशय की पथरी अधिक होती है जबकि व्यस्क व्यक्तियों में गुर्दे व मूत्र वाहीनियों में।
- एक समय में एक या अधिक, रेत के दानों जैसी छोटी - छोटी से लेकर टेनिस बॉल जितनी बड़ी हो सकती है।
कहाँ-कहाँ हो सकती है पथरी?
- पथरी से सर्वाधिक प्रभावित होने वाला तंत्र है - उत्सर्जन तंत्र यानि गुर्दे, मूत्र वाहीनियां (ureters) व मूत्राशय (bladder)। इनको क्रमशः nephrolith, urolith, व cystolith कहा जाता है।
- दूसरी जगह है पित्त की थैली / पित्ताशय / गॉल ब्लैडर जहाँ इसे cholelith / gall stone कहा जाता है।
- अन्य यदा-कदा प्रभावित होने वाली जगह है - लार ग्रन्थियां (sialolith), चमड़ी (dermolith), प्रोस्टेट ग्रन्थि, अग्नाशय, गर्भाशय आदि।
नोट - इस लेख में मूत्र तंत्र की पथरी के बारे में जानकारी दी गई है।
गुर्दे की पथरी के प्रकार
(अ). कैल्शियम लवण की पथरी:-
पुरूषों में महिलाओं से ढाई-तीन गुना ज्यादा होती है।
सर्वाधिक (90%) पथरी कैल्शियम ऑक्सेलेट की होती है, उसके बाद कैल्शियम फॉस्फेट (Brushite) व कैल्शियम कार्बोनेट लवण से बनती है।
(ब). युरिक एसिड की पथरी:-
पुरूषों में ज्यादा होती है।
(स). स्ट्रूवाइट (magnesium, ammonium salts) पथरी:-
ज्यादातर महिलाओं में, मूत्र मार्ग में संक्रमण की वजह से होती है।
(द). सिस्टीन पथरी:-
बहुत दुर्लभ, जेनेटिक बीमारी सिस्टीनयूरिया की वजह से होती है।
क्यों होती है पथरी? (कारण)
- मुख्य कारण शरीर में पानी की कमी या अन्य कारण से मूत्र गाढ़ा व अम्लीय (एसिडिक) होने से लवण जमने लगते है, 2 -3 mm तक के दाने मूत्र के साथ अपने आप बाहर निकल जाते है, ज्यादा बड़े होने पर मूत्र मार्ग में अवरोध पैदा करते हैं।
- अधिक देर तक पेशाब रोक कर रखने से भी लवण जमना शुरू हो जाते हैं।
- अधिक ऑक्सेलेट वाले खाद्य पदार्थ - आलू चिप्स, मटर, चुकंदर, पालक, चॉकलेट।
- दूध व दूध से बने उत्पाद की अधिकता से कैल्शियम फास्फेट पथरी बनती है।
- प्रोटीन की अधिकता वाले खाद्य पदार्थ या खराब पाचन की वजह से युरिक एसिड पथरी बन सकती है।
- मूत्र मार्ग में संक्रमण, कुछ एलोपैथी दवाओं के दुष्प्रभाव, व अन्य कारण से गुर्दों में घाव होने से लवण अधिक जमते हैं।
- आनुवंशिकता।
- नमक, विटामिन - सी, व ग्लूकोज ज्यादा खाने से भी पथरी हो सकती है।
- कृत्रिम प्रोटीन पाउडर, कैल्शियम सप्लीमेंट्स, कॉल्ड ड्रिंक्स।
- तनाव, मोटापा, डायबिटीज, बीपी, पुरानी दस्त की वजह से पथरी बनने की संभावनाएं बढ़ जाती है।
पथरी के लक्षण
2 - 3 mm व छोटे स्टोन पेशाब के साथ बिना किसी लक्षण के स्वतः निकल जाते हैं। इनसे बड़े स्टोन किडनी व मूत्राशय के बीच की मूत्र वाहिनी (ureter) में अटक अटक कर चलते है जिससे इस नली की दीवार पर दबाव पड़ता है, चोट लग सकती है अथवा पूर्ण अवरोध उत्पन्न हो सकता है, फलस्वरूप निम्न लक्षण दृष्टिगत होते हैं -
- पीठ, कमर व पेट के निचले हिस्से में बगल की तरफ दर्द होता है जो कुछ मिनट से घंटों तक रह कर बंद हो जाता है व पुनः होता रहता है। दर्द धीमे से लेकर असहनीय हो सकता है, बेचैनी, बैठने व लेटने में परेशानी, अक्सर खड़े होकर सहन करना पड़ता है। यह दर्द पीठ से होता हुआ आगे की तरफ मूत्रांगों तक जाता है। इस असहनीय पीड़ा को Renal colic कहते हैं, तथा तुरंत चिकित्सीय मदद लेनी होती है।
- दर्द रात्रि में अधिक होता है।
- जी मिचलाना, उल्टी होना या उबाक आना।
- पेशाब में बदबू व रंग मटमैला, अथवा रक्त होने से रंग लाल हो सकता है।
- पेशाब करने में दर्द, रुक रुक कर आना, बार बार लघुशंका की इच्छा होना आदि, विशेषकर जब पथरी मूत्राशय में हो।
- किडनी व पेट में सूजन।
- मूत्र मार्ग में संक्रमण होना जिससे कंपकंपी, बुखार व पसीना आंना।
- मूत्र वाहिनी में पूर्ण अवरोध होने पर मूत्र पीछे ही रुक जाता है जिससे किडनी भर जाती है, इस स्थिति को हाइड्रोनेफ्रोसिस कहते हैं, जिससे बहुत तेज दर्द होता है।
पथरी का निदान / जांच :-
- शारीरिक लक्षण (दर्द के पैटर्न से)।
- रक्त की जांच - कैल्शियम, फास्फोरस, युरिक एसिड की मात्रा।
- ब्लड यूरिया नाइट्रौजन (BUN), क्रिएटीनिन - किडनी डेमेज पता लगाने के लिए।
- यूरीन टैस्ट - क्रिस्टल, बैक्टीरिया, ब्लड, पस कोशिकाएं व स्टोन के लिए।
- एक्स रे, रंगीन एक्स रे (IVP), सोनोग्राफी, सीटी स्केन, MRI आदि।
अपने घर पर रक्त टेस्ट (कैल्शियम, फास्फोरस, युरिक एसिड, ब्लड यूरिया नाइट्रौजन (BUN), क्रिएटीनिन), एवं यूरीन टेस्ट (क्रिस्टल, बैक्टीरिया, ब्लड, पस कोशिकाएं, स्टोन आदि), किडनी प्रोफाइल टेस्ट आदि सस्ती दरों पर करवाने के लिए यहाँ क्लिक करें।
पथरी का इलाज
तीन तरह के इलाज प्रचलन में है -
औषधीय
सर्जिकल
घरेलु उपचार
(1). औषधीय:-
(A). एलोपैथिक-
- दर्द निवारक दवाएं - Narcotics व NSAIDs आदि।
- ग्लूकोज बोतल ( I/V fluids) - पानी की कमी पूरी करने हेतु।
- एंटीबायोटिक्स - संक्रमण खत्म करने हेतु।
- मूत्रल (Diuretics) - मूत्र की मात्रा बढाने हेतु।
- क्षारीयकरण दवाएं ( urinary alkalizer) - मूत्र की एसिडिटी कम करती है व पथरी जमने से रोकती है जैसे - मैगनीशियम सिट्रैट।
- एलोप्यूरीनॉल - यूरिक एसिड सही करने हेतु।
(B). आयुर्वेदिक-
- पथरी निकालने के लिए आयुर्वेदिक औषधियां ही सबसे अधिक उपयोग में ली जाती हैं, एलोपैथिक डॉक्टर भी इन्हें प्रेस्क्राइब करते हैं जैसे cystone, neeri आदि।
- आयुर्वेद में गोखरू, पाषाणभेद, कुलथी व अन्य जड़ी-बूटियां पथरी को गलाकर निकालने में सक्षम हैं।
कुलथ या कुलथी (Macrotyloma uniforum) -
भारत में इसे गहत, हॉर्स ग्राम, हर्ली, उलवालू, मुथिरा, हुलगा आदि कई नामों से जाना जाता है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन-ए, आयरन व मॉलिब्डेनम भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं।
इसके बीज घोड़ों को खिलाने के अलावा प्राचीन काल से ही पथरी, पीलिया, मधुमेह के इलाज व वजन घटाने तथा एंटी-ऑक्सीडेंट, मूत्रल (Diuretic) के रूप में उपयोग किये जाते रहे हैं।
पाषाणभेद (Rotula aquatica) / पत्थरचूर -
इस पौधे के सारे भाग सदियों से गुर्दे व मूत्राशय की पथरी के इलाज के लिए उपयोग हो रहे हैं।
गोखरू / गोक्षुर / गुड़खुल / कांटी (Tribulus terrestris) -
आयुर्वेद में गोखरू का उपयोग मूत्र-रोग, गुर्दों की समस्याओं, यौन समस्याओं, हृदयशूल, एक्जिमा, गठिया आदि के लिए वृहद् स्तर पर होता है।
Mountain Knot Grass (Aerva lanata) -
छाया, गोरखबुटी, गोरखगांजा, कपूरीजड़ी, छोटी बुई आदि कई नामों से जानी जाने वाली इस जड़ी-बुटी का आयुर्वेद में मूत्राशय व गुर्दों की पथरी के लिए उपयोग होता है।
(C). होम्योपैथी-
Berberis, cantheris, argentium niricum, bryophyllum, colocynthis, ocimum, pennyroyal, lycopodium, China आदि दवाइयां दर्द कम करने व छोटी पथरी निकालने के लिए प्रयोग की जाती है।
(2) सर्जिकल:-
(a). PCNL / Percutaneous Nephrolithotomy यानि चीरा लगाकर, बड़ी पथरी निकालने या आपात स्थिति में किया जाता है।
(b). ESWL / Extracorporial ShortWave Lithotrypsy बिना चीरा लगाए बाहर से ध्वनि तरंगों के प्रयोग से बड़ी पथरी को छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ा जाता है ताकि मूत्र के साथ बह कर बाहर आ जाए।
(c). Laser Lithotrypsy - लेजर किरण काम में ली जाती है।
(d). URS / Ureteroscopic Removal of Stone मूत्र नली से कैमरा लगा तार डाल कर पथरी को पकड़ कर बाहर खींचा जाता है।
(3) पथरी के घरेलु उपचार व सावधानियां:-
- भरपूर पानी पीएं।
- राजमा दाल की कुछ फलियां 6 घंटे तक पानी में उबाल कर ठंडा होने पर छाने तथा इस पेय को 2 - 2 घंटे से 2 दिन तक पीने से पथरी निकल सकती है।
- सुबह खाली पेट आधा कप मूली का रस पीने से पथरी निकल सकती है।
- नारियल पानी, गन्ने का रस पीने से पानी की कमी दूर होती है।
- नींबू का सेवन कैल्शियम स्टोन बनने से रोकता है।
- तुलसी, अजवायन, हर्बल टी, संतरा ज्यूस, सेव, अंगूर, केला, अनार का सेवन करें।
- अपथ्य - पालक, टमाटर, चॉकलेट, सोयाबीन, मूंगफली, आलू चिप्स, मटर, चुकंदर, कॉल्ड ड्रिंक्स, काजू, अमरूद, चीकू, बैंगन, आंवला, मशरूम, माँस आदि। हालांकि इनका सेवन कभी-कभार किया जा सकता है।
- दूध व दूध से बनी चीजों का अधिक सेवन न करें, अधिकतम 500 मिली प्रतिदिन।
- नमक, विटामिन सी युक्त पदार्थ कम सेवन करें।
- लघुशंका होने पर अधिक देर रोके नहीं।
- मूत्र मार्ग में संक्रमण हो तो तुरंत इलाज करवाएं।
- आधा से एक घंटा शारीरिक कसरत करें ताकि टॉक्सीन पसीने के साथ शरीर से बाहर निकले।
ऐसा क्या करें कि पथरी दुबारा ना हो:-
अब तक बताए गए सभी तरीके पथरी निकालने में कारगर है, लेकिन कुछ समय बाद पुन: पथरी बन जाना एक आम समस्या है।
प्रस्तुत है वो तीन तरीके जिनका पालन करके पथरी की समस्या से आप आजीवन मुक्त रह सकते हैं:
1. शरीर में पानी की कमी ना होने दें:-
- शरीर में पानी का पर्याप्त स्तर होना अति आवश्यक है, किसी भी कारण से बनी 5 mm तक की पथरी पानी के बहाव के साथ बाहर निकल सकती है।
- अत: रोजाना लगभग 3 लीटर (8-9 गिलास) जल अवश्य पीएं जिससे 2 - 2.5 लीटर मूत्र रोज बने।
- या इतना जल लें जिससे मूत्र का रंग सफेद रहे।
2. गुर्दों व मूत्र तंत्र में संक्रमण आदि का तुरंत उपचार करवाएं:-
मूत्र तंत्र में संक्रमण या अन्य कारण से घाव बन सकते हैं तथा वहाँ लवणों के जमने की संभावना अधिक होती है।अत: इसका शुरू में ही उचित उपचार करवा लें।
3. पथरी निकालने व पुनः बनने से रोकने के लिए एक अद्भुत आयुर्वेदिक उत्पाद का सेवन करें:-
इस उत्पाद की निम्न विशेषताएं हैं:-
- शुद्ध आयुर्वेदिक।
- शुद्ध शाकाहारी।
- 40 वर्षों से अधिक अनुभवी वैज्ञानिकों द्वारा API (Ayurvedic Pharmacopia of India) के अनुसार निर्मित।
- आयुर्वेद के आदर्श सम्मिश्रण का वैदिक ज्ञान व नवीनतम तकनीक के उपयोग से निर्मित।
- उच्च गुणवत्ता व परिणाम दायक।
- भारत सरकार के आयुष विभाग द्वारा प्रमाणित (प्रीमियम प्रमाण पत्र प्राप्त)।
इस उत्पाद का उपयोग करने से निम्न फायदे होते हैं:-
- गुर्दों व मूत्र मार्ग में पथरी के निर्माण को रोकता है।
- सभी तरह की बनी हुई पथरी का आकार कम करता है ताकि मूत्र के साथ बाहर आ जाए।
- पथरी की वजह से हुए पेट व कमर के दर्द में राहत देता है।
- संक्रमण को रोकता है तथा पथरी से बने घाव को प्राकृतिक तरीके से भरता है जिससे पथरी को दुबारा बनने के लिए स्थान नहीं मिलता है।
- मूत्रल होता है अर्थात् मूत्र निर्माण बढाता है।
- मूत्र की अम्लीयता को कम करता है व क्षारीयता को बढाता है।
- पथरी के अलावा गुर्दों व मूत्र तंत्र की अन्य तकलीफ में भी असरकारक है।
इस प्रकार यह ऑल इन वन फार्मूला है क्योंकि इनमें दर्द निवारक, एंटीबायोटिक, डाईयूरेटिक (मूत्रल), एल्कलाइजर व पथरी गलाने के सारे गुण मौजूद हैं।
नोट :- इस उत्पाद को केवल गुर्दों व मूत्र तंत्र की पथरी के इलाज हेतु निर्देशित किया गया है, हालांकि हमने कुछ लोगों में पित्त की थैली की पथरी को गलाने व प्रोस्टेट के इलाज में भी सफलता पाई है।
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