क्या आप भी एलर्जी व अस्थमा का समाधान चाहते हैं?
- श्री (क) कुमार, जो कि एक किसान है, को घास-फूस की धूल से एलर्जी है, उनको घास-फूस से दूर रहने का बोला गया है, क्या ऐसा संभव है?
- श्रीमति (ब) देवी, जो कि एक मध्यम वर्गीय गृहिणी है, को आर्टीफीशियल गहनों से एलर्जी है, असली खरीदने की क्षमता नहीं है, अब क्या पहनें?
- मिस्टर (एक्स) को जांच में 8 चीजों से एलर्जी होना बताया गया है, इनमें से 2 से संपर्क में ये कभी आए ही नहीं, दवा इस्तेमाल करने के साथ बाकी 6 चीजों से बचने का हमेशा ध्यान रखते हैं, फिर भी अनजाने में, भूलवश या मजबुरन ज्योंही इनके संपर्क में आते हैं, एलर्जी शुरू। अब क्या करें?
- मिस (वाई) को किस चीज से एलर्जी है, जांच में पता नहीं चला, लगातार दवाएं ले रही हैं, कुछ आराम है मगर उनके साईड इफेक्ट से परेशान हैं। कैसे छुटकारा पाएं?
- बेबी (ए) को हर समय इनहेलर पंप साथ में रखना पड़ता है, दौड़ने या खेलने-कूदने पर, यहाँ तक कि हँसने-रोने पर भी सांस फूल जाती है व पंप सूंघना पड़ता है, अगर पंप पास में न हो तो? कैसे दूसरे बच्चों की तरह खेलें?
क्या आप भी ऐसी या मिलती-जुलती किसी समस्या से परेशान हैं एवं समाधान चाहते हैं? अगर हाँ तो यह लेख आपके लिए ही है। अन्त तक एकाग्रता से पढें, अच्छा लगे तो कमेंट करके बताएं व दूसरों से शेयर करें, कुछ अन्य जानकारी चाहिए तो कमेंट बॉक्स में लिखें या 👉 ई-मेल 👈 करें।
इस लेख में आप निम्न जानकारियों का फायदा ले सकते हैं:-
(A). एलर्जी क्या होती है?
(B). अस्थमा
(C). COPD
(A). एलर्जी (Allergy) क्या होती है ?
जब हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र शरीर के संपर्क में आई किसी बाहरी अहानिकारक वस्तु के प्रति असाधारण रूप से संवेदनशील होकर उस वस्तु के खिलाफ कार्रवाई / प्रतिक्रिया करता है फलस्वरूप आँख, नाक, त्वचा, फेफड़े या पाचन तंत्र के अवांछित विकार उत्पन्न हो जाते हैं, शरीर की इस अवस्था को एलर्जी कहते हैं।
एलर्जी की अवस्था कुछ घंटों, दिनों, महिनों या वर्षों तक रह सकती है, कभी कभी अकस्मात होती है एवं जानलेवा भी हो सकती है।
क्या आप जानते हैं ?
- प्रत्येक चौथे व्यक्ति को एलर्जी की समस्या होती है।
- कुल एलर्जी में - सर्वाधिक एलर्जिक जुकाम होता है, तत्पश्चात एलर्जिक अस्थमा/दमा, फूड एलर्जी, त्वचा व अन्य प्रकार होते हैं।
- किसी भी आयु के व्यक्ति को एलर्जी हो सकती है, बचपन में अधिक होती है, मुख्यतया फूड एलर्जी।
- लड़कों में लड़कियों की अपेक्षा अधिक एलर्जी पाई जाती है।
- सीजेरियन प्रसव से पैदा हुऐ बच्चों में यह समस्या अधिक होती है।
- एलर्जी स्वतः भी ठीक हो सकती है, मगर एलोपैथी द्वारा इसका संपूर्ण ईलाज संभव नहीं है।
Allergy. (Picture source - Canva, Freepik macrovector) |
एलर्जी क्यों होती है?
कोई वस्तु किसी व्यक्ति में तो कोई नुकसान नहीं करती परन्तु किसी व्यक्ति में एलर्जी पैदा कर देती है, ऐसा क्यों होता है, इसके बारे में विज्ञान आज तक नहीं जान पाया है। हाँ, कुछ परिस्थितियां (Risk factor) जरुर बताई गई हैं -
- वंशानुगत (Genetic)।
- पर्यावरणीय - मौसम में बदलाव, अत्यधिक सर्दी या गर्मी, वायु प्रदूषण आदि।
- तम्बाकू, बीड़ी-सिगरेट की गंध व धुँआ।
- पटाखों व विस्फोटकों का बारूद।
- एंटीबायोटिक्स व कृमिनाशक दवाओं का अत्यधिक उपयोग।
आयुर्वेद में इसका कारण त्रिदोष यथा वात, पित्त, कफ में असंतुलन होना बताया गया है।
एलर्जी कैसे होती है?
बाह्य हमलावर जैसे बैक्टीरिया, वायरस आदि (एंटीजन) से रक्षा के लिए शरीर में प्रतिरक्षा तंत्र (Immune system) होता है, जो कि एंटीजन के खिलाफ एंटीबॉडी या Ig नामक फौज खड़ी कर देता है।
जो पदार्थ किन्हीं व्यक्तियों में एलर्जी पैदा करते हैं उनको एलर्जन तथा ऐसे व्यक्तियों को एलर्जिक या एटोपिक (Atopic) कहा जाता है। इनका प्रतिरक्षा तंत्र एलर्जन को एंटीजन समझते हुए उनके खिलाफ एंटीबॉडी तैयार कर देता है जिन्हें IgE कहा जाता है जो कि सामान्यतया परजीवियों (parasites) के खिलाफ बनाई जाती है।
ये IgE मास्ट कोशिकाओं (mast cells) के चारों तरफ चिपक कर उनको फोड़ देती है तथा हिस्टामिन नामक रसायन बाहर निकलता है जो कि एंटीजन को मारने का काम करता है।यह हिस्टामिन आसपास की कोशिकाओं व उत्तकों में सूजन, जलन, खुजली, श्लेष्मा निर्माण (mucus) आदि का कारण बनता है।
इस प्रकार जिस जगह एलर्जन प्रवेश करता है उन अंगों में विकार उत्पन्न हो जातें है जैसे नाक में - जुकाम, फेफड़ों में - दमा, आँखों में - खुजली व लालीमा आदि।
एलर्जी के कारण |
एलर्जी के प्रकार व लक्षण
एलर्जी के लक्षण प्रभावित अंग के अनुसार प्रकट होते हैं। ये जरुरी नहीं है कि सभी व्यक्तियों में समान लक्षण मिले, कम - ज्यादा भी हो सकते हैं। लक्षणों के आधार पर निम्न एलर्जिक अवस्थाएं हो सकती हैं :-
1. एलर्जिक जुकाम या नजला (Allergic Rhinitis or Hay Fever)
यह सर्वाधिक होने वाली एलर्जी है। मौसम बदलते समय या वर्ष पर्यंत हो सकती है।
कारण -
धूल कण, पालतू पशुओं के बालों की धूल (Dander), लार या मूत्र की बुंदें, मकडी के जाले, कॉकरोच की लार की गंध, पादप परागकण, कवक बीजाणु (mold spores) आदि।
लक्षण -
नाक से बहता पानी जो बाद में गाढा हो जाता है; बंद नाक, सांस लेने में परेशानी; छींकें व खाँसी; नाक, कान व गले में खुजली, कानों में सूनापन; गला बैठना, बोलने में परेशानी व आवाज बदल जाना; सूंघने की क्षमता में कमी, नाक लाल व सूजा हुआ, कभी कभी खून भी निकल सकता है; आँखें लाल, नम व सूजी हुई; सायनुसाईटिस व सिर दर्द; थकान, आलस्य, झुंझलाहट व चिड़चिड़ापन; बुखार व सर्दी लगना आदि।
2. एलर्जिक अस्थमा या दमा
लम्बे समय से श्वास की तकलीफ, दम फूलना, छाती में जकड़न व घरघराहट की आवाज, खांसी; यदा कदा अस्थमा का दौरा या अटैक भी पड़ सकता है।
Symptoms of Allergy. (Picture source - Canva, Freepik macrovector) |
3. त्वचा की एलर्जी (Skin Allergy or Contact Allergy)
कारण -
कुछ रसायन व दवाएं (Drug Allergy); कॉस्मेटिक - क्रीम, साबुन, शैम्पू, ईत्र; धातु जैसे निकल, आर्टीफीशियल गहने; रबड़, कुछ जहर जैसे सिरपेचा (Poison Ivy), मधुमक्खी का डंक आदि एवं अन्य एलर्जन जब त्वचा के संपर्क में आते हैं तो निम्न लक्षण दिखाई देते हैं:-
(1). एलर्जिक एग्जिमा / एटोपिक एग्जिमा / एलर्जिक डर्मेटाईटिस -
त्वचा से एलर्जन के संपर्क वाली जगह के आसपास जैसे चेहरा, कोहनियों के आगे, घुटनों के पीछे या पूरे शरीर पर लाल दाने (red rashes), चमड़ी का रुखी-सूखी, मोटी व कठोर हो जाना, खुजली (itching)। छोटे बच्चों में दमा व नजला भी साथ में हो सकते हैं।
(2). एलर्जिक चकते ( Urticaria or Hives) -
लाल, उभरे हुए व खुजलीदार चकते या पित्ती या उपाड़ जो कि शरीर के किसी भी भाग पर हो सकते हैं।सामान्यतया 24 घंटों से पहले बिना कोई निशान छोड़े गायब हो जाते हैं। कभी कभी चेहरे पर, होठों पर व हाथों - पांवों पर सूजन आ जाती है।अधिक तीव्र होने पर बुखार भी हो सकता है।
लाल, उभरे हुए व खुजलीदार चकते या पित्ती या उपाड़ जो कि शरीर के किसी भी भाग पर हो सकते हैं।सामान्यतया 24 घंटों से पहले बिना कोई निशान छोड़े गायब हो जाते हैं। कभी कभी चेहरे पर, होठों पर व हाथों - पांवों पर सूजन आ जाती है।अधिक तीव्र होने पर बुखार भी हो सकता है।
4. आँखों की एलर्जी (Allergic Eyes)
आँखें लाल, तेज खुजलाहट, पलकें भीगी हुई, नेत्र शोथ (conjunctivitis)।
5. खाद्य पदार्थ से एलर्जी ( Food Allergy)
कारण -
कुछ विशेष खाद्य पदार्थ जैसे दूध, पनीर, अंडा, मांस, मूंगफली, सोयाबीन, बैंगन, कद्दू, काजू एवं कई अन्य खाने के बाद कुछ लोगों का पेट खराब हो जाता है।
कुछ विशेष खाद्य पदार्थ जैसे दूध, पनीर, अंडा, मांस, मूंगफली, सोयाबीन, बैंगन, कद्दू, काजू एवं कई अन्य खाने के बाद कुछ लोगों का पेट खराब हो जाता है।
लक्षण -
उबाक, उल्टी, दस्त, पेट दर्द, गैस बनने की समस्या के साथ त्वचा पर चकते व श्वास नलियों में सूजन आदि हो सकते हैं। यदाकदा गम्भीर समस्या होने पर जानलेवा भी हो सकती है।
6. एनाफायलेक्सीस या Anaphylactic Shock
यह बहुत कम होने वाली, यकायक एवं गम्भीर स्थिति होती है जो कि घातक भी हो सकती है।
कारण - कुछ खाद्य पदार्थ, दवाइयां, जहर जैसे मधुमक्खी आदि।
लक्षण - एलर्जन के शरीर के संपर्क में आने के कुछ ही सैकंड या मिनटों में कई अंग एक साथ प्रभावित होते हैं - त्वचा पर लाल दाने या चकते, उबाक, उल्टी, दस्त, पेट दर्द, जीभ व गले में सूजन, सांस लेने में तकलीफ, खाँसी, जुकाम, आँखों में खुजली व सूजन, बीपी कम हो जाना, मुर्छा व शॉक , समय पर उपचार न मिले तो मृत्यु भी हो सकती है।
एलर्जी का पता कैसे लगाएं? (Diagnosis of Allergy / Allergy Tests)
- प्राय: स्वयं को महसूस हो जाता है कि मुझे किस चीज से ज्यादा तकलीफ होती है।
- स्किन प्रिक टैस्ट - लगभग 40 चीजों से एलर्जी का पता लग जाता है। इनके अतिरिक्त किसी कारण का पता नहीं लगता।
- मोडिफाइड स्किन प्रिक टैस्ट - इसमें दर्द नहीं होता व 45 मिनट में परिणाम मिल जाता है।
- ब्लड टैस्ट - मंहगा है, कभी कभी सटीक परिणाम नहीं मिलते, फूड एलर्जी व बच्चों के मामलों में उपयोगी।
- इओसिनोफिल काउंट - सस्ता है, आपको एलर्जी है या नहीं, है तो किस स्तर की है इस टैस्ट द्वारा रक्त में इओसिनोफिल कोशिकाओं की संख्या से पता लग जाता है।
क्या एलर्जी का इलाज संभव है?
- कुछ लोगों में एलर्जी स्वतः ठीक हो सकती है जैसे जुकाम, अस्थमा लेकिन कितने समय बाद यह निश्चित नहीं होता।
- कुछ लोगों में कुछ एलर्जी एलोपैथी उपचार से ठीक हो सकती है जैसे फूड एलर्जी, त्वचा की एलर्जी आदि।
- अधिकांश लोगों में एलोपैथी दवाएं एलर्जी को खत्म नहीं कर पाती, केवल लक्षणों को कम करती है यानि हमेशा दवा लेनी होती है एवं दवा के दुष्प्रभाव मुफ्त में मिलते हैं।
- अगर जांच से एलर्जी का सही कारण मिल जाए व आपका उससे बच पाना संभव हो, तो बचें, यह सबसे बेहतर स्थिति होगी।
- अगर आपको कारण पता नहीं लग रहा है या उससे बच पाना संभव नहीं है या आप एलोपैथी व उसके दुष्प्रभावों से मुक्त होना चाहते हैं तो घबराइए नहीं आयुर्वेद है ना। आयुर्वेदिक उत्पादों से शरीर के त्रिदोष संतुुुलित हो जातें है व एलर्जी खत्म हो सकती है।
आइए पहले जानते है कि एलोपैथी में कैसे इलाज किया जाता है :-
1. Antihistaminics - ये दवाएं हिस्टामिन का उत्सर्जन बढा कर रक्त से हटाने का कार्य करती है। सभी तरह की ऐलर्जी में उपयोग की जाती है। Avil (pheniramine), CPM, cetirizine, loratadine, desloratadine, diphenhydramine, pseudoephedrine, fenofenadine, hydroxyzine, Montelukast आदि।
2. Bronchodilators - ये दवाएं श्वास नलियों को चौड़ा कर देती है ताकि सांस लेने में आसानी हो। मुँह, इंजेक्शन या इनहेलर / नेबूलाईजर से प्रयोग की जाती है। Salbutamol, terbutaline आदि।
3. Anti inflammatory drugs - ये सूजन, जलन व दर्द कम करती है।
(a) Steroidal - Bechlomethasone, prednisolone, dexamethasone, isoflupredone, mometasone, fluticasone, budesonide आदि। मुंह, इंजेक्शन या नेजल स्प्रै / इनहेलर।
(b) Non steroidal ( NSAID) - Analgin, diclofenac, paracetamol, piroxycam, ibuprofen आदि।
4. Bronchial Thermoplasti - अस्थमा के लिये, नई तकनीक, बड़े पैमाने पर अभी काम में नहीं ली जा रही।
5. आपातकाल जैसे Drug Allergy, food allergy, anaphylaxis, रबड़ ऐलर्जी आदि में vasoconstrictors - adrenaline/ epinephrine, गले में छेद करके कृत्रिम नली डालना (Tracheal Intubation), I/V fluids आदि भी आवश्यकतानुसार काम में लिए जा सकते हैं।
6. Immunotherapy - ज्ञात एलर्जन के इंजेक्शन (shots) लगाए जाते हैं लेकिन एनाफायलेटिक शॉक का खतरा रहता है।
NOTE :- कृपया एलोपैथी उपचार केवल विशेषज्ञ चिकित्सक की देखरेख में ही लें, स्वयं न लें, हानिकारक हो सकता है।
आयुर्वेद |
आयुर्वेद क्या कहता है?
- आयुर्वेद में ऐसी औषधियां होती हैं जिनमें न केवल लक्षण बल्कि एलर्जी उत्पन्न करने वाले कारणों को भी खत्म करने की क्षमता होती है।
- तुलसी, वसाका, कुलंजन, यष्ठीमधु, पीपली, बनफसा, कंटकरी, साठी, सतपुदीन, सीरीसा, तगर, हरिद्रा, सोमलता, द्राक्ष, सौंठ, दालचीनी, मंजीष्ठा, खदीर, सारीवा, नीम, दारूहरिद्रा, जटामांसी, वंशलोचन,गिलोय, आंवला, शहद, गाय का घी आदि से बने उत्पादों द्वारा कुछ महीनों के लगातार प्रयोग से किसी भी तरह की एलर्जी पर काबू पाया जा सकता है। उत्पाद अच्छी प्रतिष्ठित कंपनी के हो या विशेषज्ञ वैद्य के मार्गदर्शन से लेने चाहिए।
- इनके अलावा अच्छी कंपनी का एंटीऑक्सीडेंट्स उत्पाद व च्यवनप्राश (जो कि सर्दी या गर्मी हमेशा खाया जा सके) के लगातार सेवन से भी काफी हद तक एलर्जी को काबू किया जा सकता है।
(B). अस्थमा / दमा (Asthma)
- अस्थमा एक श्वसन तंत्र की पुरानी बीमारी होती है जिसमें सांस लेने में तकलीफ, छाती में जकड़न, दम फूलना आदि लक्षण होते है।
- अस्थमा के दौरों की गंभीरता व दोहराया जाने की तासीर अलग अलग व्यक्तियों में अलग अलग होती है।
- किसी भी उम्र में हो सकता है।
- अधिकतर रात्रि में या सुबह के समय, बारिश व ठण्डी हवा या आंधी के मौसम में तकलीफ होती है।
अस्थमा के कारण (Causes of Asthma)
आधुनिक विज्ञान में अस्थमा होने के स्पष्ट कारण अभी ज्ञात नहीं है। फिर भी निम्न कारण सुझाए गए हैं -
- आनुवंशिकता
- पर्यावरणीय - बाहरी व आंतरिक
- बाहरी ( Extrinsic) - एलर्जी करने वाले सभी कारण अस्थमा का कारण भी बनते हैं।
- आंतरिक (Intrinsic) - कुछ रसायन, वायु प्रदूषण, धूप-अगरबत्ती, सिगरेट का धुंआ, मौसम में बदलाव, तनाव, वायरस इंफेक्शन, कुछ एलोपैथी दवाएं जैसे एस्पीरिन व अन्य दर्द निवारक, बीपी की दवाएं व कुछ एंटीबायोटिक्स।
इनमें से कोई भी कारण हो, श्वास नलियों (bronchial tubes) के भीतरी अस्तर में सूजन पैदा करते हैं जिससे वायु मार्ग संकरा हो जाता है व वायु के प्रवाह में कमी आती है फलस्वरूप फेफड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है जिससे दम फूलता है।
सूजन के साथ श्लेष्मा स्त्राव (mucus discharge) भी होता है जो वायु प्रवाह में बाधा उत्पन्न करता है फलस्वरूप खाँसी व घर्र घर्र की आवाज होती है।
अस्थमा के लक्षण (symptoms of asthma)
बार बार सांस लेने में परेशानी, दम फूलना, घरघराहट, खाँसी, सीने में जकड़न, मेहनत वाला कार्य करने में परेशानी आदि। अधिक गंभीर स्थिति में अस्थमा अटैक भी हो सकता है।
सब लोगों में लक्षणों की संख्या व गंभीरता एक जैसी नहीं होती, अलग अलग होती है जैसे किसी को केवल खांसी आती है, किसी को सांस लेने में मुश्किल होती है, किसी को सारी तकलीफें होती है, आदि।
अस्थमा - निदान व जांच (Diagnosis / Tests for Asthma)
- लक्षण
- इतिहास - हाल में हुआ जुकाम, तम्बाकू-धूम्रपान की लत, प्रदूषित वातावरण, पारिवारिक इतिहास आदि।
- शारीरिक परीक्षण - स्टेथोस्कोप (चिकित्सक) द्वारा।
- जांच - छाती व सायनस का एक्स-रे, बलगम जांच, spirometry, peak flow test, Lungs function test, एलर्जी जांच आदि।
अस्थमा का इलाज़ (Treatment of asthma)
एलोपैथी से लक्षण तो खत्म हो सकते हैं परन्तु बीमारी नहीं। आयुर्वेद दोनों को खत्म करने की क्षमता रखता है।पूर्व में दिया गया एलर्जी का उपचार व अस्थमा का उपचार एक जैसा ही होता है। कृपया वहां जाकर पुन: पढें।
अस्थमा अटैक आने पर क्या करें?
फौरन इनहेलर ढूंढे व प्रयोग करें, कपड़े ढीले करें, भीड़ न करें, शांत रहें, मरीज को सीधा बैठाएं, लेटाएं नहीं, कुछ खिलाएं - पिलाएं नहीं, स्थिति नियंत्रण में नहीं दिख रही हो तो तुरन्त अस्पताल ले जाएं।
(C). COPD (Chronic Obstructive Pulmonary Disease)
यह भी एलर्जिक अस्थमा से मिलती जुलती एक पुरानी बीमारी है, कारण अज्ञात, लक्षण व उपचार उपरोक्तानुसार।
(D). एलर्जी व श्वसन तंत्र की बीमारियों के लिए परहेज व सावधानियां
- एलर्जी का कारण ज्ञात है तो उससे बचने का भरसक प्रयास करें।
- एलोपैथिक हो या आयुर्वेदिक, दवाओं का नियमित इस्तेमाल करें।
- साफ सफाई रखें; बेडसीट, तकिया कवर, सोफा कवर नियमित धोंएं, गलीचा / कार्पेट प्रयोग ना करें या फिर 6 माह में ड्राई-क्लीन अवश्य करवाएं।
- साफ सफाई के लिए गीला पौंछा लगाएं या वैक्यूम क्लीनर इस्तेमाल करें।
- अच्छे मास्क से मुंह व नाक ढकें, नाक में गाय का घी लगाएं।
- पटाखों से एलर्जी है तो जितना संभव हो दूर रहें, मास्क पहनें व कुछ खाने-पीने से पहले हाथों को अच्छी तरह से धोएं।
- कॉकरोच, चूहे ,मकडी व फफूंद का नियंत्रण करें।
- अचानक से ठण्डे या गर्म तापमान में न जाएं।
- ए.सी. को साफ रखें व HEPA filter वाली ए.सी. को उपयोग में लें।
- ज्यादा ठण्डा या गर्म न खाएं, पानी भी ठण्डा न पीएं।
- विटामिन ए, सी व ई (एंटीऑक्सीडेंट्स) युक्त फल, सुखे मेवे खाएं जैसे - पपीता, पालक, आम, अंगूर, अन्नानास, स्ट्राबेरी, कीवी, संतरा, नींबू ,बादाम, अखरोट, अलसी आदि।
- अचार, ठण्डी बासी व खट्टी चीज न खाएं।
- कॉफी पीएं, यह चार घंटों तक श्वास नलियों को खुला रखने में मदद करती है।
- यूकेलिप्टस, लैवेण्डर, तुलसी, सरसोंं आदि के तेल से छाती, गले एवं नाक के आसपास मालिस करें या गर्म खोलते पानी में कुछ बुंदें डाल कर भाप लें।
- त्वचा की एलर्जी में कच्चे आलू का रस लगाएं तुरन्त आराम मिलेगा। ग्वार पाठा या एलोवेरा का रस भी लाभदायक होता है।
- योग, प्राणायाम (कपालभाति, भ्रस्त्रिका), जलनेति, ध्यान आदि योग्य प्रशिक्षक की देखरेख में नियमित करें।
- धीरे धीरे बढाते हुए कसरत करें जैसे नृत्य, खेल, रस्सी कूद आदि।
आपको ये लेख कैसा लगा कृपया कमेंट बॉक्स में लिखें व आप और कुछ जानना चाहते हैं तो लिखें, आपको प्रत्युत्तर देने में हमें खुशी होगी।
उर्हरी
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Thanks for valuable help provided by you
ReplyDeleteKindly ....Also publish on uric acid related post
ReplyDeleteOk, very soon
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